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________________ -२.३६] परिकर्मव्यवहारः सप्ताशीतित्रिशतसहितं षट्सहस्रं पुनश्च पञ्चत्रिंशच्छतसमधिकं सप्तनिघ्नं सहस्रम् । द्वाविंशत्या युतदशशतं वर्गितं तत्रयाणां ब्रूहि त्वं मे गणकगुणवन्संगुणय्य प्रमाणम् ।।३५।। . इति परिकर्मविधौ तृतीयो वर्गः समाप्तः । वर्गमूलम् चतुर्थे वर्गमूलपरिकर्मणि करणसूत्रं यथाअन्त्यौजादपहृतकृतिमूलेन द्विगुणितेन युग्महतौ । लब्धकृतिस्त्याज्यौजे द्विगुणदलं वर्गमूलफलम् ॥३६।। १P, K और B राशिरेतत्कृतीनाम् । ६३८७ और तब ७१३५ और तब १०२२, इनमें से प्रत्येक संख्या का वर्ग किया जाता है । हे कुशल गणितज्ञ ! अच्छी तरह गणना करने के पश्चात् मुझे बतलाओ कि इन तीनों के वर्ग क्या होंगे? ॥३५॥ इस तरह, परिकर्म व्यवहार में, वर्ग नामक परिच्छेद समाप्त हुआ। वर्गमूल परिकर्म क्रियाओं में वर्गमूल नामक चतुर्थ क्रिया के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम हैं अंकों द्वारा प्रदर्शित संख्या की इकाई के स्थान से बाई ओर के अन्तिम अयुग्म (विषम ) अंक में से बड़ी से बड़ी वर्ग संख्या ( अंक) घटाई जाती है। तब इस वर्ग की हुई संख्या को द्विगुणित कर प्राप्त फल द्वारा, शेष संख्या के साथ दाहिने युग्मस्थान की संख्या उतार कर रखने के पश्चात् प्राप्त हुई संख्या में भाग देते हैं। और तब, इस तरह प्राप्त भजनफल का वर्ग, शेष संख्या के साथ दाहिने अयुग्म स्थान की संख्या उतार कर रखने के पश्चात् प्राप्त हुई संख्या में से घटा देते हैं। तब, प्रथम वर्गसंख्या का वर्गमूल और द्वितीय वर्गसंख्या का वर्गमूल, (एक के बाद दूसरी) दाहिनी ओर रखने से प्राप्त संख्या को द्विगुणित कर शेष संख्या के नीचे उतारी हुई संख्या रखकर प्राप्त संख्या में भाग देते हैं; और फिर शेष संख्या के साथ उतारी हुई संख्या रखकर प्राप्त संख्या में से सबसे बड़ी वर्गसंख्या घटाते हैं। इस प्रकार, यह क्रिया अंत तक की जाती है और अंतिम द्विगुणित भाजक संख्या की अर्द्ध संख्या, परिणामी वर्गमूल होता है ॥३६॥ (३५) यहाँ ७१३५ को १३५ + (१००.४७) द्वारा दर्शाया गया है। (३६) इस नियम को स्पष्ट करने हेतु निम्नलिखित उदाहरण नीचे साधित किया जाता है। ६५५३६ का वर्गमूल निकालना-६५५।३६ २२=४ २४२%४) २५ (५ ५२-२५ २५४२=५०१३०३/६ .:. वर्गमूल = "३२ = २५६ । ३६ २५६४२=५१२०० ।
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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