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गणितसारसंग्रह
यूनानी गणित के बीजीय तत्वों सम्बन्ध, आजकल बेबिलन की बीज गणित से जोड़ा जाता है । इस प्रकार ओ. न्युगेबाएर (Neugebauer), ओ. बेकेर (Becker), राइडेमाइस्टर (Reidemeister) प्रभृति विद्वानों ने यह देखकर कि बीजगणित डाओफेन्टस से प्रारम्भ न होकर प्रायः २००० वर्ष पूर्व मेसोपोटेमिया से प्रारम्भ होती है, यह भी संभावना व्यक्त की है कि पिथेगोरस के अर्थमितिकी सिद्धान्त को बेबिलन का अर्थमितिकी सिद्धांत कहना उचित होगा।
इसी प्रकार बी. एल. वाएर्डेन ने भी निम्नलिखित तथ्यों को प्रमाणित करने का प्रयास किया है*
१-थेलीज़ और पिथेगोरस ने बेबिलन की गणित को लेकर प्रारम्भ किया परन्तु उसे बिलकुल भिन्न, विशिष्ट रूप से यूनानी, लक्षण दिया।
२-पिथेगोरीय वर्गों में और बाहर, गणित को उच्चतर और सतत उच्चतर रूप में विकसित किया गया । इस प्रकार गणित धीरे-धीरे दृढ़तर तर्क की जिज्ञासा का समाधान करने लगा।
इस सम्बन्ध में वाएडेन का मत है कि गणित इतिहास के अध्ययन में निम्नलिखित बातों को अनावश्यक न समझा जावे
(१) संस्कृति का सामान्य इतिहास, जिसमें न केवल ज्योतिष और यांत्रिकी वरन् भवन निर्माण विद्या ( architecture ), शिल्प ( technology ), दर्शन और यहाँ तक कि धर्म (पिथेगोरस) के विषयों को समाविष्ट किया जावे ।
(२) राजनैतिक और सामाजिक दशाएँ ।
(३) व्यक्तिगत चरित्र और उसका जीवन कार्य । ___ गणित क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण आधारभूत चार क्रियाएँ होती हैं, जिनका उपयोग संकेतों द्वारा गणित के विकास को चरम सीमा तक पहुँचाया जा सकता है। संकेतों में स्थाना: पद्धति तथा दाशमिक पद्धति लाना बड़े महत्व की वस्तु है। इसके आधार पर बड़ी संख्याओं का लेखन तथा अन्य गणनाओं को सुगम बनाया जा सकता है। इसमें संदेह नहीं कि ज्योतिष में आधुनिक षाष्ठिक पद्धति का इतिहास सम्भवतः ४९५९ वर्ष पुराना है। बेबिलन वासियों ने षाष्ठिक पद्धति सुमेरवासियों (स्युमिअरिएन) से ली और इस पद्धति को यूनानी ज्योतिषी टालेमी (१५० ई० ) ने अपनाया तथा उसमें शून्य प्रतीक का उपयोग कर अपने काल की दाशमिक पद्धति के समाह बनाया ।। षाष्ठिक पद्धति में स्थिति सम्बन्धी प्रतीकों का उपयोग तो होता था, परन्तु उसमें कई दोष भी थे। १ और ६० के प्रतीकों, तथा १,०,३०, और १,३०, के प्रतीकों में अंतर न था ।
भारतीयों द्वारा यूनानी ज्योतिष के अंशदान लेने के आधार पर सम्भवतः वाएर्डेन ने फ्रायटेन्थेल ( Freudenthal) के मत का समर्थन किया है:
"Freudenthal's hypothesis reduces therefore to the following: Before becoming subject to the Greek influence, the Hindus had a versified, positional system, arranged decimally and starting with
* Science Awakening, p. 5.. † Science Awakening, p. 39.
चीन में भी पञ्चाङ्ग में षाष्टिक दाशमिक पद्धति उपयोग में लाई गई थी, जिसमें ६० को उच्चतर इकाई अथवा 'चक्र' निरूपित किया गया था। Cf. Struik. D. J., A concise History of Mathematics, Dover, ( 1948).