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________________ गणितसारसंग्रह शब्द । सूत्र अध्याय पृष्ठ स्पष्टीकरण अभ्युक्ति अन्तश्चक्रवाल वृत्त अपर अमोघ वर्ष ::: कङ्कण की भीतरी परिधि । उत्तर, बाद की। राजा का नाम; (साहित्यक) : वह जो वास्तव में उपयोगी वर्षा करते हैं। खट्टी पत्तियों वाली एक प्रकार की जड़ी। काल का माप । अम्लवेतस : Rumex Vesicarius. परिशिष्ट ४ की सूची २ देखिये। : अयन अरिष्टनेमि अर्जुन :: बाईस वें तीर्थंकर। वृक्ष का नाम। Ferminalia Arjuna W. & A. अर्बुद अवनति अवलम्ब अव्यक्त अशोक ग्यारहवें स्थान की संकेतना का नाम । झुकाव । शीर्ष से गिराया हुआ लम्ब । अज्ञात । वृक्ष का नाम । असित Jonesia Aso ka Roxb. Grislea To mentosa. परिशिष्ट ४ की सूची ३ देखिये। आढक धान्य-माप आदि आदिधन आदि मिश्रधन श्रेढि का प्रथम पद । समान्तर श्रेदि के प्रत्येक पद को प्रथम पद एवं प्रचय के अपवर्त्य के योग से संयवित मान लेते हैं । समस्त प्रथम पदों के योग को आदिधन कहते हैं। प्रथम पद से संयुक्त । समान्तर श्रेदि का योग। किसी त्रिभुज या चतुर्भुज के आधार को संचरित करनेवाली सरल रेखा का खण्ड । जनेन्द्र (Ellipse) आबाधा आयत वृत्त
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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