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________________ परिशिष्ट-५ ग्रंथ में प्रयुक्त संस्कृत पारिभाषिक शब्दों का स्पष्टीकरण [हिन्दी-वर्णमाला क्रम में ] शब्द सूत्र अध्याय पृष्ठ स्पष्टीकरण अभ्युक्ति अगरु सुगंधित काष्ठ । Amyris agallocha अग्र आगे अथवा आरम्भ का। अङ्ग श्रतज्ञान के भेदों में से एक भेद का नाम अंग है । ये बारह होते हैं। लम्बाई का माप। अकुल २५-२९ परिशिष्ट ४ की सूची १ भी देखिये। अणु अध्वान २५-२७ १ ... परमाणु या अंत्यमहत्ता को प्राप्त पुद्गल कण । किसी दत्त संख्या के अक्षरोंवाले छन्द ३३६१ के समस्त सम्भव प्रकारों के दीर्घ और लघु अक्षरों को उपस्थित करने के लिए उदग्र (vertical) अन्तराल । लघु अथवा दीर्घ अक्षर के प्रतीक का अन्तराल एक अंगुल तथा प्रत्येक प्रकार के बीच का अन्तराल भी एक अंगुल होता है। समान्तर या गुणोत्तर श्रेदि में अंतिम पद। भीतरी लम्ब; दो स्तम्भों के शिखर से दोनों स्तम्भों के तल से जाने वाली रेखा में स्थित बिन्दु तक तत (stretched ) दो धागों के मिथश्छेदन बिन्दु से लटकने वाले धागे का माप। अन्त्यधन अन्तरावलम्बक
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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