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________________ गणितसारसंग्रह शब्द सामान्य अर्थ संख्या अभिधान उद्गम करिन् कर्मन् हाथी Anelephant | ८ कर्म अथवा कार्य करने । ८ का प्रभाव Action: the effect of action as its karma चन्द्रमा The moon १ इभ देखिए। जैन धर्म के अनुसार आठ प्रकार के कर्म (प्रकृतिबंध) होते हैं, अर्थात् , ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय, अन्तराय, वेदनीय, नामिक, गोत्रिक और आयुष्क । कलाधर इन्दु देखिए । कषाय कुमारवदन संसारी वस्तुओं में आसक्ति ४ । जैन धर्म के अनुसार कर्मों के आस्रव का एक भेद कषाय Attachment to है, जिसके चार प्रकार हैं, अर्थात् , क्रोध, मान, माया worldly objects और लोभ । कुमार अथवा हिंदू युद्ध- यह युद्धदेव छः मुखोवाला माना जाता है। देव के मुख The षण्मुख देखिये। faces or Kumāra of the Hindu war-god विष्णु का एक नाम A| ९ | उपेन्द्र देखिए । name of Vişnu चन्द्रमा The moon इन्दु देखिए। आकाश Sky अनन्त देखिए। केशव क्षपाकर खर गगन गज गति गिरि आकाश Sky | अनन्त देखिए। हाथी Elephant | इभ देखिए। पुनर्जन्म का मार्ग | जैन धर्म के अनुसार संसारी जीव चार गतियों में जन्म लेते Passage into हैं, अर्थात् , देव, तिर्यञ्च, मनुष्य, नरक । पिथेगोरस का rebirth Tetractys इससे तुलनीय है। पर्वत Mountain - अचल देखिए। गुण Quality आदि पदार्थ में तीन गुण माने जाते हैं, अर्थात् , सत्व, रजस् , तमस् । ग्रह A planet | हिन्दू ज्योतिष में ९ प्रकार के ग्रह माने जाते हैं, अर्थात् , मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु, सूर्य और चन्द्रमा। । | आँख The eye मा | २ | अक्षि देखिए। प्रह चक्षुस्
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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