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________________ [ ८.६५ २६८] गणितसारसंग्रहः हस्ताङ्गुलवर्गेण काकचिके पट्टिकाप्रमाण स्यात् । शाकाहयद्रुमादिद्रुमेषु परिणाहदैर्घ्यहस्तानाम् ॥ ६५ ।। संख्या परस्परांना मार्गाणां संख्यया गुणिता । तत्पट्टिकासमाप्ता क्रकचकृता कर्मसंख्या स्यात् ।। ६६ ।। शाकार्जुनाम्लवेतससरलासितसर्जडुण्डुकाख्येषु । श्रीपर्णीप्लक्षाख्यद्रुमेष्वमीष्वेकमार्गस्य । षष्णवतिरङ्गुलानामायामः किष्कुरेव विस्तारः ॥ ६७३ ।। अत्रोद्देशकः शाकाख्यतरौ दीर्घः षोडश हस्ताश्च विस्तारः । सार्धत्रयश्च मार्गाश्चाष्टौ कान्यत्र कर्माणि ।। ६८३ ।। ____ इति खातव्यवहारे क्रकचिकाव्यवहारः समाप्तः। इति सारसंग्रहे गणितशास्त्रे महावीराचार्यस्य कृतौ सप्तमः खातव्यहारः समाप्तः॥ पट्टिका के माप को प्राप्त करने के लिए, निम्नलिखित नाम वाले वृक्षों से प्राप्त लकड़ियों के संबंध में प्रत्येक दशा में मार्ग १ होता है, लंबाई ९६ अंगुल होती है, और चौड़ाई १ किष्कु होती है; उन वृक्षों के नाम ये हैं-शाक, अर्जुन, अम्लवेतस, सरल, असित, सर्ज और डुण्डको, तथा श्रीपर्णी और लक्ष ॥ ६७-६७१ ॥ उदाहरणार्थ प्रश्न किसी शाक लकड़ी के टुकड़े के संबंध में लंबाई १६ हस्त है, चौड़ाई ३३ हस्त है और मार्ग ( अर्थात् चीरने वाले आरे के रास्तों की) संख्या ८ है। यहाँ आरे के काम के कितने एकक (इकाइयाँ) कर्म (कार्य) पूर्ण हुआ है ? ॥ ६ ॥ इस प्रकार खात व्यवहार में कचिका व्यवहार नामक प्रकरण समाप्त हआ। इस प्रकार महावीराचार्य की कृति सारसंग्रह नामक गणितशास्त्र में खातम्यवहार नामक सप्तम व्यवहार समाप्त हुआ। विशेष एकक (इकाई) द्वारा मापा जाता है। यह एकक पट्टिका कहलाता है । पट्टिका लंबाई में ९६ अंगुल और चौड़ाई में १ किष्कु अथवा ४२ अंगुल होती है। यह सरलता पूर्वक देखा जा सकता है कि इस प्रकार पट्टिका ७ वर्ग हाथ के बराबर होती है। + 4
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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