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________________ २६४] गणितसारसंग्रहः [ ८.५२३इष्टवेदिकायां पतितायां सत्यां स्थितस्थाने इष्टकासंख्यानयनस्य च पतितस्थाने इष्टकासंख्यानयनस्य च सूत्रम् - मुखतलशेषः पतितोत्सेधगुणः सकलवेधहृत्समुखः।। मुखभूम्योभूमिमुखे पूर्वोक्तं करणमवशिष्टम् ॥ ५२३ ॥ __ अत्रोद्देशकः द्वादश दैर्घ्य व्यासः पञ्चाधश्चोर्ध्वमेकमुत्सेधः । दश तस्मिन् पश्च करा भग्नास्तत्रेष्टकाः कति स्युस्ताः ।। ५३३ ॥ प्राकारे कर्णाकारेण भग्ने सति स्थितेष्टकानयनस्य च पतितेष्टकानयनस्य च सूत्रम् किसी पतित ( भन्न होकर गिरी हुई ) वेदी के संबंध में स्थित भाग में (शेष अपतित भाग में) तथा पतित-भाग में ईटों की संख्या अलग अलग निकालने के लिये नियम ऊपरी चौड़ाई और तली की चौड़ाई के अंतर को पतित भाग की ऊँचाई द्वारा गुणित करते हैं, और पूर्ण ऊँचाई द्वारा भाजित करते हैं। इस परिणामी भजनफल में ऊपरी चौड़ाई का मान जोड़ दिया ता है। यह पतित भाग के संबंध में आधारीय चौड़ाई का माप तथा अपतित भाग के संबंध में ऊपरी चौड़ाई का माप उत्पन्न करता है। शेष क्रिया पहले वर्णित कर दी गई है ।। ५२३ ।। उदाहरणार्थ प्रश्न वेदी के संबंध में लंबाई १२ हस्त है, तली में चौड़ाई ५ हस्त है; ऊपरी चौड़ाई १ हस्त है, ऊपरी चौड़ाई १ हस्त है, और ऊँचाई सर्वत्र १० हस्त है। ५ हस्त ऊँचाई का भाग टूट कर गिर जाता है। उस पतित और अपतित भाग में अलग-अलग कितनी ऐकिक इष्टकाएँ हैं ? ।। ५३३ ।। जब किले की दीवाल तिर्यक रूप से टूटी हो, तब स्थित भाग में तथा पतित भाग में इष्टकाओं की संख्या निकालने के लिये नियम शिखर और पार्श्व तल प्रवण ( ढालू ) हैं । ऊपरी अभिनत तल के उठे हुए अंत पर चौड़ाई २ हस्त है, और दूसरे अंत पर चौड़ाई ४ हस्त है (चित्र देखिये )। (५२३) स्थित अपतित भाग की ऊपरी चौड़ाई का माप जो वेदी के पतित भाग की नितल चौड़ाई के समान है, बीजीय रूप से (अ-३) द + ब है, जहाँ तली की चौड़ाई 'अ' और ऊपरी चौड़ाई 'ब' है, संपूर्ण ऊँचाई २४ 'उ है, और 'द' वेदी के पतित भाग की ऊँचाई है। यह सूत्र समरूप त्रिभुजों के गुणों द्वारा भी सरलतापूर्वक शुद्ध सिद्ध किया जा सकता है। नियम में कथित :क्रिया ऊपर गाथा ४ में पहिले ही वर्णित की जा चुकी है।
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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