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गणितसारसंग्रहः
[ ८.३१३
अत्रोद्देशकः व्यश्रस्य च शृङ्गाटकषड़बाहुघनस्य गणयित्वा । किं व्यावहारिकफलं गणितं सूक्ष्मं भवेत्कथय ॥ ३१३ ॥
वापीप्रणालिकानां विमोचने तत्तदिष्टप्रणालिकासंयोगे तज्जलेन वाप्यां पूर्णायां सत्यां तत्तत्कालानयमसूत्रम् - वापीप्रणालिकाः स्वस्वकालभक्ताः सवर्णविच्छेदाः। - तद्युतिभक्तं रूपं दिनांशकः स्यात्प्रणालिकयुत्या ॥ तदिनभागहतास्ते तज्जलगतयो भवन्ति तद्वाप्याम् ॥ ३३ ।।
अत्रोद्देशक: चतस्रः प्रणालिकाः स्युस्तत्रैकैका प्रपूरयति वापीम् । द्वित्रिचतुःपञ्चांशैर्दिनस्य कतिभिर्दिनांशैस्ताः ॥ ३४ ॥ ____ त्रैराशिकाख्यचतुर्थगणितव्यवहारे सूचनामात्रोदाहरणमेव; अत्र सम्यग्विस्तार्य प्रवक्ष्यते
___ उदाहरणार्थ प्रश्न जिसको लंबाई है ऐसे आधारीय त्रिभुज के त्रिभुजाकार स्तूप के घनफल का व्यावहारिक और सूक्ष्म मान गणना कर बतलाओ ॥ ३१॥
जब किसी कूप में जाने वाले सभी नल खुले हुए हों, तब कूप को पानी से पूरी तरह भर जाने का समय प्राप्त करने के लिये नियम, जबकि कोई मन से चुनी हुई संख्या की प्रणालिकाएँ वापिका को भरने के लिये लगाई गई हों
प्रत्येक नल को निरूपित करने वाली संख्या 'एक', अलग-अलग, नलों से प्रत्येक के संवादी समय द्वारा भाजित की जाती है । भिन्नों द्वारा निरूपित परिणामी भजन फलों को समान हर वाले भित्रों में परिणत कर लिया जाता है। एक को समान हर वाले भिन्नों के योग द्वारा भाजित करने पर, एक दिन का वह भिनीय भाग उत्पन्न होता है, जिसमें कि सब नलिकाओं के खुले रहने पर वापिका पूरी भर जाती है। उन समान हर वाले भिन्नों को दिन के इस परिणामी भिन्नीय भाग द्वारा गुणित करने पर उस वापिका में लगे हए विभिन्न नलों में से प्रत्येक के पानी के बहाव का अलग-अलग माप उत्पन होता है ॥३२-३३ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न किसी वापिका के भीतर जानेवाली ४ नलिकाएँ हैं। उनमें से प्रत्येक, वापिका को क्रमशः दिन के
भाग में पूरी तरह भर देती है। कितने दिनांश में वे सब नलिकाएँ एक साथ खुलकर पूरी वापिका को भर सकेंगी, और प्रत्येक कितना-कितना भाग भरेंगी ? ॥ ३४ ॥
इस प्रकार का एक प्रश्न पहिले हो सूचनार्थ त्रैराशिक नामक चौथे व्यवहार में दिया गया है: उस प्रश्न का विषय यहाँ विस्तार पूर्वक दिया गया है।
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x/२ प्राप्त होता है । यहाँ स्तूप की ऊँचाई तथा आधारीय समत्रिभुज की एक भुजा का माप अ है । यह सरलता पूर्वक देखा जा सकता है कि ये दोनों मान शुद्ध मान नहीं हैं। यहाँ दिया गया व्यावहारिक मान, सूक्ष्म मान की अपेक्षा विशुद्ध मान के निकटतर है।