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________________ -८. १९३] खातव्यवहारः [२५५ व्यासः षष्टिर्वदने मध्ये त्रिंशत्तले तु पञ्चदश । समवृत्तस्य च वेधः षोडश किं तस्य गणितफलम् ॥ १७ ॥ त्रिभुजस्य मुखेऽशीतिः षष्टिमध्ये तले च पञ्चाशत् । बाहुत्रयेऽपि वेधो नव किं तस्यापि भवति गणितफलम् ॥ १८ ॥ खातिकायाः खातगणित फलानयनस्य च खातिकाया मध्ये सूचीमुखाकारवत् उत्सेधे सति खातगणितफलानयनस्य च सूत्रम्परिखामुखेन सहितो विष्कम्भस्त्रिभुजवृत्तयोस्त्रिगुणात् । आयामश्चतुरश्रे चतुर्गुणो व्याससंगुणितः ।। १९३ ॥ समवृत्त आकार के छेदीय क्षेत्र वाले खात के संबंध में मुख व्यास ६० हस्त है, मध्य व्यास ३० हस्त और तल व्यास १५ हस्त है। गहराई १६ हस्त है। घन फल का माप देने वाला गणित फल क्या है ? ॥१७॥ त्रिभुजाकार के छेदीय क्षेत्रवाले खात के सम्बन्ध में, प्रत्येक भुजा का माप ऊपर ८० हस्त, मध्य में ६० हस्त और तली में ५० हस्त है। गहराई ९ हस्त है। (घनाकार समाई देनेवाला) घनफल क्या है ? ॥ १७ ॥ किसी खात की घनाकार समाई के मान, तथा मध्य में सूची मुखाकार के समान उत्सेध सहित (ठोस मिट्टो का गोपुच्छवत् एक अंत की ओर घटने वाले प्रक्षेप projetion) सहितखात की घनाकार समाई के मान को निकालने के लिये नियम__केन्द्रीय पुंज की चौड़ाई को वेष्टित खात की ऊपरी चौड़ाई द्वारा बढ़ाकर, और तब तीन द्वारा गुणित करने पर, त्रिभुजाकार और वृताकार खातों की इष्ट परिमिति का मान उत्पन्न होता है। चतुर्भुजाकार खात के सम्बन्ध में, इष्ट परिमिति के उसी मान को, पूर्वोक्त विधि के अनुसार, चौड़ाई को चार द्वारा गुणित करने से प्राप्त करते हैं ॥१९॥ (१९३-२०३ ) ये श्लोक किसी भी आकार के केन्द्रीय पुंज के चारों ओर खोदी गई खाईयों या खातों के घनाकार समाई के माप विषयक हैं । केन्द्रीय पुंज के छेद का आकार वर्ग, आयत, समभुज त्रिभुज अथवा वृत्त सदृश हो सकता है। खात (तली में और ऊपर ) दोनों जगह समान चौडाई का हो सकता है, अथवा घटनेवाली या बढ़नेवाली चौड़ाई का हो सकता है। यह नियम, इन सभी तीन दशाओं में, खात की कुछ लम्बाई निकालने में सहायक होता है। (१) जब खात की चौड़ाई समांग (ऊपर नीचे एक सी) हो, तब खात की लंबाई (द+ब)x३ होती है, जब कि सम त्रिभुजाकार अथवा वृत्ताकार छेद हो । यहाँ 'द' केन्द्रीय पुंज की भुजा का माप अथवा व्यास का माप है, और 'ब' खात की चौड़ाई है। परन्तु यह लंबाई =(द+ब)४४ होती है, जब कि छेद वर्गाकार तथा केन्द्रीय पुंजवाला वर्गाकार खात होता है। (२) यदि खात तली में या ऊपर जाकर बिन्दु रूप हो जाता हो, तो कौतिक फल निकालने के लिये, लंबाई = ( द +5)४३ अथवा ( द +4)x४ होती है, जब केन्द्रीय पुच्छ का छेद ( section ) ( १ ) त्रिभुजाकार या वृत्ताकार अथवा ( २ ) वर्गाकार होता है । औंड्र फल प्राप्त करने के लिए खात की लम्बाई क्रमशः (द+ब)४३ और (द+ब)X४ लेते हैं। घनफलों निकालने के लिए, इन बीज वाक्यों को खात की आधी चौड़ाई और गहराई से गुणा
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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