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________________ ८. खातव्यवहारः सर्वामरेन्द्र मुकुटार्चितपादपीठं सर्वज्ञमव्ययमचिन्त्यमनन्तरूपम् । भव्यप्रजासरसिजाकरबालभानुं भक्त्या नमामि शिरसा जिनवर्धमानम् ॥ १ ॥ क्षेत्राणि यानि विविधानि पुरोदितानि तेषां फलानि गुणितान्यवगाहनानि ( नेन ) । कर्मान्तिकौण्ड्रफलसूक्ष्म विकल्पितानि वक्ष्यामि सप्तममिदं व्यवहारखातम् ॥ २ ॥ सूक्ष्मगणितम् अत्र परिभाषाश्लोक: हस्तघने पांसूनां द्वात्रिंशत्पलशतानि पूर्याणि । उत्कीर्यन्ते तस्मात् षट्त्रिंशत्पलशतानीह ॥ ३ ॥ ८. खात व्यवहार ( खोह अथवा गढ़ा संबंधी गणनाएँ ) मैं सिर झुकाकर उन वर्धमान जिनेन्द्र को भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ, जिनका पादपीठ (पैर रखने की चौकी) सभी अमरेन्द्रों के मुकुटों द्वारा अर्चित होता है, जो सर्वज्ञ हैं, अव्यय हैं, अचिन्त्य और अनन्तरूप हैं, तथा जो भव्य जीवों रूपी कमल समूह को विकसित करने के लिये बालभानु ( अभिनव सूर्य ) हैं ॥ १ ॥ अब मैं खात के संबंध में ( विभिन्न प्रकार के ) कमांतिक, औण्ड्रफ औ सूक्ष्म फल का वर्णन करूँगा । ये समस्त प्रकार, उन उपर्युक्त विभिन्न प्रकार की रैखिकीय आकृतियों से गहराई मापने वाली राशियों द्वारा घटित गुणन क्रिया के परिणाम स्वरूप प्राप्त किये जाते हैं । यह सातवाँ व्यवहार, खात व्यवहार है ॥ २ ॥ सूक्ष्म गणित परिभाषा के लिये एक श्लोक ( व्यावहारिक कल्पना के लिये एक गाथा ) - किसी एक घन हस्त माप की खोह को भरने के लिये ३,२०० पल मात्रा की मिट्टी लगती है । उसी घन आयतन वाली खोह में ३,६०० पल मात्रा की मिट्टी निकाली जा सकती है ॥ ३ ॥ ( २ ) औण्ड्रफल शब्द में 'औण्ड्र" पद विचित्र संस्कृत शब्द मालूम पड़ता है, और कदाचित् वह हिन्दी शब्द औण्ड से संबंधित है, जिसका अर्थ " गहरा " होता है । ( ३ ) इस धारणा का अभिप्राय स्पष्ट ३,६०० पल होता है, और इतनी जगह को पर्याप्त होती है । रूप से यह है कि एक घन हस्त दबी हुई मिट्टी का भार शिथिलता से भरने के लिये ३,२०० पल भार की मिट्टी
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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