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गणितसारसंग्रहः
अत्रोद्देशकः
सूक्ष्मधनं सप्तेष्टं त्रिकं हि बीजे द्विके त्रिके दृष्टे । द्विसमचतुरश्रबाहु मुखभूम्यवलम्बकान् ब्रूहि ।। १४९ ॥
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उदाहरणार्थ प्रश्न
दिये गये क्षेत्रफल का ठीक माप ७ है, मन से चुना हुआ गुणकार ३ है, और दत्त बीज २ और ३ हैं। दो बराबर भुजाओं वाले चतुर्भुज क्षेत्र को बराबर भुजाओं, ऊपरी भुजा, आधार और लंब के मानों को प्राप्त करो ।। १४९ ॥
नोट – आकृतियों के माप अनुमाप ( scale ) रहित हैं ।
सबसे पहिले इस अध्याय की ९०३ वीं गाथानुसार दिये गये बीजों की सहायता से आयत की
रचना करते हैं । उस आयत की छोटी भुजा का माप ५ और बड़ी भुजा का माप १२ तथा कर्ण का माप १३ होता
है । उसका क्षेत्रफल मान में ६० होता है। अब इस प्रश्न में दिये गये क्षेत्रफल को प्रश्न में दी गई मन से चुनी हुई संख्या के वर्ग द्वारा गुणित करते हैं, जिससे हमें ७ X ३ २ = ६३ प्राप्त होता है । इस ६३ में से हमें दिये गये बीजों से संरचित आयत का क्षेत्रफल ६० घटाना पड़ता है, जिससे ३ शेष प्राप्त होता है । ३ क्षेत्रफल वाला एक आयत बनाना पड़ता है, जिसकी एक भुजा बीजों से प्राप्त आयत की बड़ी भुजा के बराबर होती है । यह बड़ी भुजा माप में १२ है, इसलिये इस आयत की छोटो
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भुजा आकृति में दिखलाये अनुसार है माप को होती है । बीजों से प्राप्त आयत के दो भाग कर्ण द्वारा प्राप्त करते हैं, जो दो त्रिभुज होते हैं। इन दो त्रिभुजों को, आकृति में दिखाये अनुसार, x १२ क्षेत्रफल वाले आयत के दोनों
ओर जमाते हैं, ताकि लंबी भुजाएँ संपाती हों ।
इस प्रकार अंत में हमें दो बराबर १३ मापवाली भुजाओं का चतुर्भुज प्राप्त होता है, जिसकी ऊपरी भुजा है और आधार १०१ होता है। इसकी सहायता से प्रश्न में इष्ट चतुर्भुज की भुजाओं के माप, मन से चुनी हुई संख्या ३ द्वारा, भुजाओं के माप १३, ४, १३ और १०४ को भाजित कर, प्राप्त कर सकते हैं ।
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[ ७. १४९–
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