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२१८] गणितसारसंग्रहः
[७. १३१३आयतचतुरश्रक्षेत्रद्वये रज्जुसंख्यायां सदृक्षायां सत्यां द्वितीयक्षेत्रफलात् प्रथमक्षेत्रफले द्विगुणिते सति, अथवा क्षेत्रद्वयेऽपि क्षेत्रफले सदृशे सति प्रथमक्षेत्रस्य रज्जुसंख्याया अपि द्वितीयक्षेत्ररज्जुसंख्यायां द्विगुणायां सत्याम् , अथवा क्षेत्रद्वये प्रथमक्षेत्ररज्जुसंख्याया अपि द्वितीयक्षेत्रस्य रज्जुसंख्यायां द्विगुणायां सत्यां द्वितीयक्षेत्रफलादपि प्रथमक्षेत्रफले द्विगुणे सति, तत्तत्क्षेत्रद्वयस्यानयनसूत्रम्स्वाल्पहृतरज्जुधनहतकृतिरिष्टनैव कोटि:स्यात् । व्येका दोस्तुल्यफलेऽन्यत्राधिकगणितगुणितेष्टम् ।। १३१३ ॥ व्येकं तदूनकोटिः त्रिगुणा दोः स्यादथान्यस्य । रज्ज्वर्धवर्गराशेरिति पूर्वोक्तेन सूत्रेण । तद्गणितरज्जुमितितः समानयेत्तद्भुजाकोटो ॥ १३३ ॥
इष्ट आयत क्षेत्रों के क्रमिक युग्मों को प्राप्त करने के लिये नियम (१) जब कि परिमिति के संख्यात्मक माप बराबर हैं, और प्रथम आकृति का क्षेत्रफल दूसरे के क्षेत्रफल से दुगुना हैअथवा (२) जब कि दोनों आकृतियों के क्षेत्रफल बराबर हैं, और दूसरी आकृति की परिमिति का संख्यात्मक माप प्रथम आकृति की परिमिति से दुगना है; अथवा (३) जब कि दो क्षेत्रों के संबंध में दूसरी आकृति की परिमिति का संख्यात्मक माप, प्रथम आकृति की परिमिति से दुगुना है, और प्रथम आकृतिका क्षेत्रफल दूसरी आकृति के क्षेत्रफल से दुगुना है
दो इष्ट आयत क्षेत्रों संबंधी परिमितियों तथा क्षेत्रफलों की दी गई निष्पत्तियों में बड़ी संख्याओं को उनकी संवादी छोटी संख्याओं द्वारा भाजित किया जाता है। परिणामी भजनफलों को एक दूसरे से परस्पर गुणित कर वर्गित किया जाता है। यही राशि जब दिये गये मन से चुने गुणकार (multiplier) द्वारा गुणित की जाती है, तब लंबभुजा का मान उत्पन्न होता है। और उस दशा में जब कि दो इष्ट आकृतियों के क्षेत्रफल बराबर हों, यह लंब भुजा का माप एक द्वारा हासित होकर, आधार का माप बन जाता है। परंतु दूसरी दशा में जब कि इष्ट आकृतियों के क्षेत्रफल बराबर नहीं होते, तब बड़ी निष्पत्ति संख्या जो क्षेत्रफलों से संबंधित होती है, दिये गये मन से चुने गुणकार द्वारा गुणित की जाती है और परिणामी गुणनफल | द्वारा हासित किया जाता है। ऊपर प्राप्त लंब भुजा इस परिणामी राशि द्वारा हासित की जाती है, और तब ३ द्वारा गुणित की जाती है। इस प्रकार आधार का माप प्राप्त होता है। तत्पश्चात् दो इष्ट चतुर्भुज क्षेत्रों में से दूसरे चतुर्भुज के माप को प्राप्त करने के लिए, ज्ञात क्षेत्रफल और परिमिति की सहायता से, गाथा १२९३ में दिये गये नियमानुसार उसका आधार तथा लंब निकालना पड़ते हैं ॥१३॥३-१३३॥
(१३१३-१३३) यदि प्रथम आयत की दो आसन्न भुजाएँ क और ख हों, तथा दूसरे आयत की दो आसन्न भुजाएँ अऔर ब हों, तो इस नियम में दी गई तीन प्रकार की समस्याओं में कथित दशाओं को इस प्रकार से प्ररूपित किया जा सकता है
(१) क+ख = अ+ब, क ख %२ अब (२)२ (क+ख) =अ+ब, क ख = अब (३)२ (क+ख)= अ+ब, क ख २ अब
इस नियम में दिया गया हल केवल १३४-१३६ गाथाओं में दिये गये प्रश्नों की विशेष दशाओं के लिये ही उपयुक्त दिखाई देता है।