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________________ -७.१०.१] क्षेत्रगणितव्यवहारः [२०७ अत्रोद्देशकः चतुरश्रक्षेत्रस्य द्विसमस्य च पञ्चषटकबोजस्य । मुखभूभुजावलम्बककर्णाबाधाधनानि वद ॥ १००३ ।। उदाहरणार्थ प्रश्न दो बराबर भुजाओं वाले तथा ५ और ६ को बीज मानकर उनकी सहायता से रचित चतुर्भुज क्षेत्र के संबंध से ऊपरी भुजा. आधार. दो बराबर भुजाओं में से एक, ऊपरी भुजा से आधार पर गिराया गया लंब, कर्ण और आधार का छोटा खंड तथा क्षेत्रफल के मापों को बतलाओ ॥१००१॥ इस नियम का मूल आधार गाथा १००१ में दिये गये प्रश्न के हल को चित्रित करने वाली निम्नलिखित आकृतियों से स्पष्ट हो जावेगा । यहाँ दिये गये बीज ५ और ६ हैं। प्रथम आयत अथवा बीजों से प्राप्त प्राथमिक आकृति अब स द है [नोट-ये आकृतियाँ पैमाने रहित हैं । ] इस आकृति में आधार की लम्बाई को अर्द्धराशि ३० है। इसके दो गुणनखंड ३ और १० चुने जा सकते हैं। इन संख्याओं की सहायता से ( उन्हें बीज मानकर ) संरचित आयत क्षेत्र इफ ग ह है दो बराबर भुजाओं वाले इष्ट चतुर्भुज क्षेत्र की रचना के लिये अपने कर्ण द्वारा विभाजित प्रथम आयत के दो त्रिभुजों में से एक को दूसरे आयत की ओर, और वैसे ही दूसरे त्रिभुज के बराबर क्षेत्र को दूसरे आयत की दूसरी ओर से हटा देते हैं जैसा की आकृति ह अफस' से स्पष्ट है। यह क्रिया आकृतियों की तुलना से स्पष्ट हो जावेगी। इष्ट चतुर्भुज क्षेत्र ह अफस' का क्षेत्रफल = दूसरे आयत इफ ग ह का क्षेत्रफल । _आधार में प्रथम आयत की लम्ब भुजा धन दूसरे आयत की लम्ब भुजा-अब+हफ ऊपरी भुजा ह स' =दूसरे आयत की लम्ब भुजा ऋण प्रथम आयत की लम्ब भुजा-ग ह-सद कर्ण ह फ= दूसरे आयत का कर्ण F
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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