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२०२] गणितसारसंग्रहः
[७.८४३वृत्तक्षेत्रत्रयस्यान्योऽन्यस्पर्शनाजातस्यान्तरस्थितक्षेत्रस्य सूक्ष्मफलानयनसूत्रम्विष्कम्भमानसमकत्रिभुजक्षेत्रस्य सूक्ष्मफलम् । वृत्तफलार्धविहीनं फलमन्तरजं त्रयाणां स्यात् ।। ८४३ ।।
अत्रोद्देशकः विष्कम्भचतुष्काणां वृत्तक्षेत्रत्रयाणां च । अन्योऽन्यस्पृष्टानामन्तरजक्षेत्रगणितं किम् ॥ ८५३ ॥
षडश्रक्षेत्रस्य कर्णावलम्बकसूक्ष्मफलानयनसूत्रम्भुजभुजकृतिकृतिवर्गा द्वित्रित्रिगुणा यथाक्रमेणैव । श्रुत्यवलम्बककृतिधनकृतयश्च षडश्रके क्षेत्रे ॥ ८६३ ।।
अत्रोद्देशकः भुजषटकक्षेत्रे द्वौ द्वौ दण्डौ प्रतिभुजं स्याताम् । अस्मिन् श्रुत्यवलम्बकसूक्ष्मफलानां च वर्गाः के ।। ८७३ ।
तीन समान परस्पर एक दूसरे को स्पर्श करनेवाले वृत्तीय क्षेत्रों के बीच के क्षेत्र का सूक्ष्म रूप से शुद्ध क्षेत्रफल निकालने के लिये नियम
जिसकी प्रत्येक भुजा व्यास के बराबर होती है ऐसे सम त्रिभुज का सूक्ष्म क्षेत्रफल इन तीन में से किसी भी एक के क्षेत्रफल की अर्द्धराशि द्वारा हासित किया जाता है। शेष ही इष्ट क्षेत्रफल होता है ॥८॥
उदाहरणार्थ प्रश्न परस्पर एक दूसरे को स्पर्श करने वाले तथा माप में ४० व्यास वाले तीन वृत्तों की परिधियों से घिरे हुए क्षेत्र का सूक्ष्म क्षेत्रफल क्या है ? ॥८५३।।
____ नियमित षट्भुज क्षेत्र के संबंध में कर्ण, अवलम्ब (लम्ब ) और क्षेत्रफल के सूक्ष्म रूप से शुद्ध मानों को निकालने के नियम- -
षटभुज क्षेत्र के संबंध में भुजा के माप को, इस भुजा के वर्ग को तथा इसी भुजा के वर्ग के वर्ग को क्रमशः २,३ और ३ द्वारा गुणित करने पर उसी क्रम में कर्ण, लम्ब का वर्ग और क्षेत्रफल के माप का वर्ग प्राप्त होता है ॥८६॥
उदाहरणार्थ प्रश्न नियमित षटभुजाकार आकृति के संबंध में प्रत्येक भुजा २ दण्ड है। इस आकृति के कर्ण का वर्ग, लम्ब का वर्ग और सूक्ष्म क्षेत्रफल के माप का वर्ग बतलाओ ।।८७३।।
(८६३) यह नियम नियमित षट्भुज आकृति के लिये लिखा गया ज्ञात होता है। यह सूत्र षट्भुज के क्षेत्रफल का मान V३अ देता है, जहाँ किसी भी एक भुजा की लम्बाई अहै। तथापि शुद्ध
सूत्र यह है- २४३५३