________________
१९४ ]
गणित सारसंग्रहः
इतः परं पञ्चप्रकाराणां चतुरश्रक्षेत्राणां कर्णानयनसूत्रम् - क्षितितविपरीतभुजौ मुखगुणभुज मिश्रितौ गुणच्छेदौ । छेदगुणौ प्रतिभुजयोः संवर्गयुतेः पदं कर्णौ ॥ ५४ ॥ अत्रोद्देशकः
समचतुरश्रस्य त्वं समन्ततः पञ्चबाहुकस्याशु | कर्ण च सूक्ष्मफलमपि कथय सखे गणिततत्त्वज्ञ ॥ ५५ ॥ आयतचतुरश्रस्य द्वादश बाहुश्च कोटिरपि पञ्च । कर्णः कः सूक्ष्मं किं गणितं चाचक्ष्व मे शीघ्रम् ॥ ५६ ॥ द्विसमचतुरश्रभूमिः षटत्रिंशद्वाहुरेकषष्टिश्च । सोऽन्यच्चतुर्दशास्यं
कर्णः कः सूक्ष्मगणितं किम् ॥ ५७ ॥
[ ७. ५४
इसके पश्चात् पाँच प्रकार के चतुर्भुजों के विकर्णों के मान निकालने के लिये नियम -
आधार को बड़ी और छोटी, दाहिनी और बाईं भुजाओं के द्वारा गुणित करने से प्राप्त राशियों को क्रमशः ऐसी दो अन्य राशियों में जोड़ते हैं, जो ऊपरी भुजा को दाहिनी और बाईं ओर की छोटी और बड़ी भुजाओं द्वारा गुणित करने से प्राप्त होती हैं। परिणामी दो योग, गुणक और भाजक तथा सम्मुख भुजाओं के गुणनफलों के योग सम्बन्धी भाजक और गुणन की संरचना करते हैं। इस प्रकार प्राप्त राशियों के वर्गमूल विकर्णों के इष्ट माप होते हैं ॥ ५४ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न
जिसकी चारों ओर की प्रत्येक भुजा का माप ५ है, ऐसे समभुज चतुर्भुज के सम्बन्ध में गणित तत्वज्ञ, विकर्ण तथा क्षेत्रफल के सूक्ष्म मान शीघ्र बतलाओ ॥ ५५ ॥ आयत क्षेत्र के सम्बन्ध में क्षैतिज भुजा माप में १२ है, और लम्ब रूप भुजा माप में ५ है । मुझे शीघ्र बतलाओ कि विकर्ण का और क्षेत्रफल का सूक्ष्म माप क्या क्या है ? ।। ५६ ।। समद्विबाहु चतुर्भुज ( समलम्ब चक्रीय चतुर्भुज ) की आधारभुजा ३६ है । एक भुजा ६१ है, और दूसरी भी उतनी ही है । ऊपरी भुजा १४ है । बतलाओ कि विकर्ण और क्षेत्रफल के सूक्ष्म माप क्या हैं ? ॥ ५७ ॥ समत्रिबाहु चतुर्भुज ( चक्रीय समत्रिबाहु चतुर्भुज ) के सम्बन्ध में १३ का वर्ग समान भुजाओं में से एक का माप होता है । आधार ४०७ है । विकर्ण का माप तथा आधार के खण्डों का माप और लम्ब तथा क्षेत्रफल के माप क्या क्या हैं ? ।। ५८ ।। किसी विषम चतुर्भुज की दाहिनी और बाईं भुजाएँ १३x १५ और चतुर्भुज क्षेत्र का क्षेत्रफल =√(य- अ ) ( य - ब ) ( य - स ) ( य - द ) ; यहाँ य, भुजाओं के योग की अर्द्धराशि है, और अ, ब, स, द चतुर्भुज क्षेत्र की भुजाओं के माप हैं । अथवा, |क्षेत्रफल = -Xल ( उस दशा के अपवाद को छोड़कर जबकि चतुर्भुज विषम होता है, जहाँ ल ऊपरी भुजा के अंतों से आधार पर गिराये गये बराबर लम्बों में से किसी एक का माप है । त्रिभुज क्षेत्रों के लिये दिये गये ये सूत्र ठीक परन्तु जो चतुर्भुज क्षेत्रों के लिये दिये गये हैं वे केवल चक्रीय चतुर्भुजों के सम्बन्ध में ठीक हैं, क्योंकि उन्हीं मापों के लिये क्षेत्रफल तथा लम्ब का मान परिवर्तनशील हो सकता है । (५४) बीजीय रूप से निरूपित चतुर्भुन क्षेत्र के विकर्ण का माप यह है— 'अस + बद ) ( अब + सद) ਘਟ + ਕਰ
ब+द
२
अथवा
अस + बद ) ( अद + बस अब + सद
' ये
सूत्र
केवल