SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 242
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -७. २२] क्षेत्रगणितव्यवहारः [१८५ हस्तौ द्वौ विष्कम्भः पृष्ठेऽष्टाषष्टिरिह च संदृष्टाः । उदरे तु द्वात्रिंशद्बालेन्दोः किं फलं कथय ।। १८ ॥ . वृत्तक्षेत्रफलानयनसूत्रम्-. त्रिगुणीकृतविष्कम्भः परिधिा सार्धवर्गराशिरयम् । त्रिगुणः फलं समेऽर्धे वृत्तेऽधं प्राहुराचार्याः ॥ १९ ॥ अत्रोद्देशकः व्यासोऽष्टादश वृत्तस्य परिधिः कः फलं च किम् । व्यासोऽष्टादश वृत्तार्धे गणितं किं वदाशु मे ॥ २० ॥ आयतवृत्तक्षेत्रफलानयनसूत्रम्व्यासाधेयुतो द्विगुणित आयतवृत्तस्य परिधिरायामः । विष्कम्भचतुर्भागः परिवेषहतो भवेत्सारम् ॥ २१ ॥ अत्रोद्देशकः क्षेत्रस्यायतवृत्तस्य विष्कम्भो द्वादशैव तु । आयामस्तत्र षट्त्रिंशत् परिधिः कः फलं च किम् ॥२२।। भीतरी वक्र ३२ हस्त है। बतलाओ की परिणामी क्षेत्रफल क्या है ? ॥ १८ ॥ वृत्त का व्यावहारिक क्षेत्रफल निकालने के लिये नियम व्यास को ३ द्वारा गुणित करने से परिधि प्राप्त होती है, और व्यास (विष्कम्भ ) की अर्द्ध राशि के वर्ग को ३ द्वारा गुणित करने से पूर्ण वृत्त का क्षेत्रफल प्राप्त होता है। आचार्य कहते हैं कि अर्द्धवृत्त का क्षेत्रफल और परिधि का माप इनसे आधा होता है ।। १९ ॥ उदाहरणार्थ प्रश्न वृत्त का व्यास १८ है। उसकी परिधि और परिणामी क्षेत्रफल क्या है? अर्द्धवृत्त का व्यास १८ है । शोघ्र कहो कि उसके क्षेत्रफल और परिधि क्या हैं ? ॥२०॥ आयत वृत्त (जनेन्द्र अथवा अंडाकार) आकृति का क्षेत्रफल निकालने के लिये नियम बडे व्यास को छोटे व्यास की अर्द्ध राशि द्वारा बढ़ाकर और तब २ द्वारा गुणित करने पर आयतवृत्त ( जनेन्द्र ) की परिधि का आयाम ( लम्बाई ) प्राप्त होता है। छोटे व्यास की एक चौधाई राशि को परिधि द्वारा गुणित करने पर क्षेत्रफल का माप प्राप्त होता है ॥२१॥ उदाहरणार्थ प्रश्न ऊनेन्द्र आकृति (elliptical figure ) के सम्बन्ध में छोटा व्यास १२ है और बड़ा ग्यास ३६ है। परिधि और परिणामी क्षेत्रफल क्या है ? ॥२२॥ ( १९) परिधि और क्षेत्रफल का माप यहाँ ( / परिधि 7 ) का मान ३ लेकर दिया गया है। ( २१ ) अनेन्द्र ( आयतवृत्त या अंडाकृति ) की परिधि के लिये दिया गया सूत्र स्पष्ट रूप से कोई भिन्न प्रकार का अनुमान है। ऊनेन्द्र का क्षेत्रफल (ज. अ. ब.) होता है, जहाँ अ और बहस आयत वृत्त की क्रमशः बड़ी और छोटी अर्धाक्ष (semiaxes ) हैं। यदि का मान ३ लें तब 7. अ.ब = ३ अ.ब होता है। परन्तु इस गाथा में दिये गये सूत्र से क्षेत्रफल का माप २ ब=२ अब+बर होता है। ग. सा. सं०-२४
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy