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________________ १८२ ] त्रिभुजचतुर्भुजक्षेत्र फलानयनसूत्रम् - त्रिभुजचतुर्भुज बाहुप्रति बाहु समासदलहतं गणितम् । मेर्भुजयुत्यधं व्यासगुणं तत्फलार्धमिह बालेन्दोः ॥ ७ ॥ सम त्रिभुज ( ४ ) व्यावहारिक गणित ( अनुमानतः मापसम्बन्धी गणना ) त्रिभुज और चतुर्भुज क्षेत्रों के क्षेत्रफल ( अनुमानतः ) निकालने के लिये नियम - सम्मुख भुजाओं के योगों की अर्द्धराशियों का गुणनफल, त्रिभुज और चतुर्भुज क्षेत्रों के क्षेत्रफल का माप होता है । कङ्कण सहरा आकृति के चक्र की किनार ( rim ) का क्षेत्रफल भीतर और ( १ ) ( २ ) ( ३ ) समचतुरश्र ( ७ ) गणितसारसंग्रहः व्यावहारिकगणितम् त्रिसम चतुरश्र ( १० ) अर्द्धवृत्त द्विसम त्रिभुज (५) द्विद्वि समचतुरश्र ( ८ ) विषम चतुरश्र ( ११ ) [ ७. ७ आयत (नेन्द्र ) विषम त्रिभुज ( ६ ) द्विसमचतुरश्र ( ९ ) OFE समवृत्त ( १२ ) D कम्बुकावृत्त ( शंख के आकार की आकृति )
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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