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गणितसारसंग्रहः
अत्रोद्देशकः
कामुकपुरुषाः पञ्च हि वेश्यायाश्च प्रियास्त्रयस्तत्र । प्रत्येकं सा ब्रूते त्वभिष्ट इति कानि सत्यानि ॥ २१७ ।। प्रस्तारयोगभेदस्य सूत्रम् - एकाकोत्तरतः पदमूर्ध्वाधर्यतः क्रमोत्क्रमशः । स्थाप्य प्रतिलोमघ्नं प्रतिलोमन्नेन भाजितं सारम् || २१८ ||
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पाँच कामुक व्यक्ति हैं । प्रत्येक से अलग-अलग कहती है, लक्षित ) वचन सत्य हैं ? ॥ २१७ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न
उनमें से
तीन व्यक्ति वास्तव में वेश्या द्वारा चाहे जाते हैं। वह "मैं केवल तुम्हें चाहती हूँ ।" उसके कितने ( व्यक्त और उप
दी हुई वस्तुओं में (सम्भव ) संचयों के प्रकारों सम्बन्धी नियम—
एक से आरम्भकर, संख्याओं को दी गई वस्तुओं की संख्या तक एक द्वारा बढ़ाकर, नियमित क्रम में और व्यस्तक्रम में ( क्रमशः) एक ऊपर और एक नीचे क्षैतिजपंक्ति में लिखो । यदि ऊपर की पंक्ति में दाहिने से बाईं ओर को लिया गया ( एक, दो, तीन अथवा अधिक संख्याओं का ) गुणनफल, नीचे की पंक्ति में भी दाहिने से बाईं ओर को लिये गये ( एक, दो, तीन अथवा अधिक संख्याओं के संगत ) गुणनफल द्वारा भाजित किया जाय, तो प्रत्येक दशा में ऐसे संचय की इष्ट राशि फलस्वरूप प्राप्त होती है । २१८ ॥
निरूपण से स्पष्ट हो जावेगा -
मानलो कुल मनुष्यों की संख्या अ है जिनमें से ब चाहे जाते हैं । वचनों की संख्या अ है, और प्रत्येक वचन अ मनुष्यों के बारे में है, इसलिये वचनों की कुल संख्या अXअ = अरे है । अब इन अ मनुष्यों में से ब मनुष्य चाहे जाते हैं, और अ-ब चाहे नहीं जाते । जब ब मनुष्यों में से प्रत्येक को यह कहा जाता है, 'केवल तुम्हीं चाहे जाते हो', तब प्रत्येक दशा में असत्य वचन ब - १ हैं; इसलिये असत्य वचनों की ब वचनों में कुल संख्या ब ( ब - १ ) है .. १ )
जब फिर से वही कथन अ-ब मनुष्यों में से प्रत्येक को कहा जाता है तब प्रत्येक दशा में असत्य कथनों की संख्या ब+ १ है । इसलिये अ-ब वचनों में कुल असत्य वचनों की संख्या ( अ - ब ) (ब + १) है... (२) (१) और (२) का योग करने पर, हमें ब (ब-१) + (अब) (ब + १) = अ (ब + १) - २ ब प्राप्त होता है । यह असत्य वचनों की कुल संख्या को निरूपित करती है। इसे अर में से घटाने पर, जो कि सब सत्य और असत्य वचनों की कुल संख्या है, हमें सत्य वचनों की संख्या प्राप्त होती है । ( २१८ ) यह नियम संचय ( combination ) के प्रश्न से सम्बन्ध रखता है। यहाँ दिया गया सूत्र यह है
न (न – १) (न - २)... (नर + १) और यह स्पष्ट रूप से
र
१ २ ३......र
( २२६ ) नियम में दिया गया सूत्र बीजीय रूप से निम्न प्रकार है
क =
[ ६.२१७
अदा
२
२
अदा' - अबद (दा - द )
दा- द
न न-र
- के तुल्य है ।
जहाँ क = निकाली जाने वाली मजदूरी
"