________________
गणित सारसंग्रहः
प्रक्षेपक कुट्टीकारः
इतः परं मिश्रकव्यवहारे प्रक्षेपककुट्टीकारगणितं व्याख्यास्यामः । प्रक्षेपककरणमिदं सवर्गविच्छेदनांशयुतिहृतमिश्रः । प्रक्षेपक गुणकारः कुट्टीकारो बुधैः समुद्दिष्टम् ॥ ७९३ ॥
१०८ ]
[ ६.७९३
अत्रोद्देशकः द्वित्रिचतुष्षड्भागैर्विभाज्यते द्विगुणषष्टिरिह हेम्नाम् । भृत्येभ्यो हि चतुर्यो गणकाचक्ष्वाशु मे भागान् ॥ ८०३ ॥ प्रथमस्यांशत्रितयं त्रिगुणोत्तरतश्च पञ्चभिर्भक्तम् । दीनाराणां त्रिशतं त्रिषष्टिसहितं क एकांशः ॥ ८१३ ।। आदाय चाम्बुजानि प्रविश्य सच्छ्रावकोऽथ जिननिलयम् । पूजां चकार भक्त्या पूजार्हेभ्यो जिनेन्द्रेभ्यः ।। ८२३ ।। वृषभाय चतुर्थांशं षष्ठांशं शिष्टपार्श्वाय । द्वादशमथ जिनपतये त्र्यंशं मुनिसुव्रताय ददौ ।। ८३३ ।। नष्टाष्टकर्मणे जगदिष्टायारिष्टनेमयेऽष्टांशम् । षष्ठघ्नचतुर्भागं भक्त्या जिनशान्तये प्रददौ । ८४३ ॥ कमलान्यशीतिमिश्राण्यायातान्यथ शतानि चत्वारि ।
कुसुमानां भागाख्यं कथय प्रक्षेपकाख्यकरणेन ।। ८५३ ॥
प्रक्षेपक कुट्टीकार ( समानुपाती भाग )
)
इसके पश्चात् हम इस मिश्रक व्यवहार में समानुपाती भाग के गणित का प्रतिपादन करेंगेसमानुपाती भाग की क्रिया वह है जिसमें दी गई ( समूह वाचक ) राशि पहिले ( विभिन्न समानुपाती भागों का निरूपण करने वाले समान (साधारण) हर वाले भिन्नों के अंशों के योग द्वारा विभाजित की जाती है। ऐसे समान हर वाले भिन्नों के हरों को उच्छेदित कर विचारते नहीं हैं । प्राप्त फल को प्रत्येक दशा में क्रमशः इन समानुपाती अंशों द्वारा गुणित करते हैं। इसे बुधजन (विद्वज्जन) 'कुट्टीकार' कहते हैं ॥ ७९ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न
इस प्रश्न में १२० स्वर्ण मुद्राएँ ४ नौकरों में क्रमशः 2, 3 और द्वे के भिन्नीय भागों में जाती हैं । हे अंकगणितज्ञ ! मुझे शीघ्र बतलाओ कि उन्हें क्या मिला ? ।। ८०३ ।। ३६३ दीनारों को पाँच व्यक्तियों में बाँटा गया। उनमें से प्रथम को ३ भाग मिले और शेष भाग को उत्तरोत्तर ३
की साधारण निष्पत्ति में बाँटा गया। प्रत्येक का हिस्सा बतलाओ ।। ८१३ ।। एक सच्चे श्रावक ने किसी संख्या के कमल के फूल लिये और जिन मंदिर में जाकर पूज्यनीय जिनेन्द्रों की भक्तिभाव से पूजा की। उसने वृषभ भगवान् को पूज्य पार्श्व भगवान् को, बरे जिन पति को मुनि सुव्रत भगवान् को भेंट किये; टे भाग आठों कर्मों का नाश करने वाले जगदिष्ट अरिष्टनेमि भगवान् को और ठेका है शांति जिन भगवान् को भेंट किये। यदि वह ४८० कमल के फूल इस पूजा के लिये लाया हो तो इस प्रक्षेप नामक क्रिया द्वारा फूलों का समानुपाती वितरण प्राप्त करो ।। ८२३-८५३ ।। ४८० की ( ७९३ ) ८०३ वीं गाथा के प्रश्न को इस नियमानुसार हल करने में हमें 2, 3, है, से १२, १२, १२, १रे प्राप्त होते हैं। हरों को हटाने के पश्चात्, हमें ६, ४, ३, २ प्राप्त होते हैं । ये प्रक्षेप अथवा समानुपाती अंश भी कहलाते हैं। इनका योग १५ है, जिसके द्वारा बाँटी जानेवाली रकम