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-३. ९३]
कहासवर्णव्यवहारः
अत्रोद्देशका रूपांशकयो राश्योः कौ स्यातां हारकौ युतिः पादः। पञ्चांशो वा द्विहतः सप्तकनवकाशयोश्च वद ॥८॥
द्वितीयसूत्रम्फलहारताडितांशः परांशसहितः फलांशकेन हृतः । स्यादेकस्य च्छेदः फलहरगुणितोऽयमन्यस्य ॥८९॥
अत्रोद्देशकः राशिद्वयस्य को हारावेकांशस्यास्य संयुतिः । द्विसप्तांशो भवेब्रूहि षडष्टांशस्य च प्रिय ॥९०॥ अर्धत्र्यंशदशांशकपञ्चदशांशकयुतिर्भवेद्रूपम् । त्यक्ते पञ्चदशांशे रूपांशावत्र कौ योज्यौ ॥११॥ दलपादपश्चमांशकविंशानां भवति संयुती रूपम् । सप्तैकादशकांशौ को योज्याविह विना विंशम्।।९२ । युग्मान्याश्रिय च्छेदोत्पत्तौ सूत्रम्युग्मप्रमितान् भागानेकैकांशान् प्रकल्प्य फलराशेः। तेभ्यः फलात्मकेभ्यो द्विराशिविधिना हराः साध्याः ।।९३॥
उदाहरणार्थ प्रश्न दो इष्ट मिन्नीय राशियों में प्रत्येक का अंश १ है। इनके हरों को निकालो जब कि उन राशियों का योग या तो अथवा ३ हो। साथ ही, उन दो अन्य भिनीय राशियों के हर निकाको जिनके अंश क्रमशः और ९ हैं ॥८॥
दूसरा नियम निम्नलिखित है:
इष्ट भिन्नों में किसी एक के अंश को इष्ट भिन्नों के योग के हर द्वारा गुणित कर दूसरे अंश में मिलाते हैं। प्राप्त फल को इष्ट भिन्नों के योग के अंश द्वारा विभाजित करते हैं तो इष्ट भिन्नों में से एक भिन्न का हर उत्पन्न होता है। इस हर को जब इष्ट भिन्नों के योग के हर द्वारा गुणित करते हैं तब वह दूसरे भिन्न का हर हो जाता है ।।८९॥
उदाहरणार्थ प्रश्न हे मित्र ! मुझे बतलाओ कि दो भिन्नीय राशियों के (जिनमें प्रत्येक के अंश १, हैं ) हर क्या होंगे जब कि उन इष्ट भिन्नों का योग है। दो अन्य इष्ट भिन्नों के भी हर क्या होंगे जिनके अंश क्रमशः ६ और ८ हों ॥९०॥ ३, 3, और १५ का योग । है । यदि १५ छोड़ दिया जावे तो दो ऐसे १ अंश वाले भिन्न बतलाओ जिनको शेष भिन्नों में जोड़ने पर योग पुनः कुल के तुल्य हो जावे ॥११॥
१६ और का योग १ है। यदि छोड़ दिया जाय तो क्रमशः ७ और ११ हर वाले ऐसे दो भिन्न कौन से होंगे जिनको शेष में जोड़ने पर उनका योग कुल योग के तुल्य हो जावे ।।१२।।
कुछ इष्ट भिन्नों को युग्मों (pairs) में लेकर उनके हरों को निकालने के लिये नियम
सब इष्ट भिन्नों के योग को दिये गये अंशों के युग्मों की संख्या के तुल्य भागों में विपाटित करने के बाद, ( इस तरह कि प्रत्येक के अंश १, . हों), इन भागों को युग्मों के योग में अलग-अलग
(८९) गाथा ८७ में दिये गये नियम की यह विशेष स्थिति है क्योंकि इष्ट मित्रों के हर का आदेशन (substitution) इस नियम में, पिछले नियम में चुनी गई राशि के स्थान में करते हैं।
ग० सा० से०-८