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गणितसारसंग्रहः
[३. ८५
वाछाहतयुतिहारश्छेदः स व्यकवाञ्छयाप्तोऽन्यः । फलहारहारलब्धे स्वयोगगुणिते हरौ वा स्तः ॥८५।।
अत्रोद्देशक: राश्योरेकांशयोश्छेदी कौ भवेतां तयोर्युतिः । षडंशो दशभागो वा ब्रूहि त्वं गणितार्थवित् ॥८६।।
एकांशकयोरनेकांशयोश्च एकांशेऽनेकांशेऽपि फले छेदोत्पत्तौ प्रथमसूत्रम्इष्टगुणांशोऽन्यांशप्रयुतः शुद्धं हृतः फलांशेन । इष्टाप्तयुतिहरघ्नो हरः परस्य तु तदिष्टहतिः ।।८।।
१ P और B में यह पाठान्तर जुड़ा है:
शुद्धं फलांशभक्तः स्वान्यांशयुतो निजेष्टगुणितांशः। दूसरे इष्ट अंश को उत्पन्न करता है। अथवा, दिये गये योग के हर के सम्बन्ध में किसी चुने हुए भाजक और प्राप्त भजनफल में से प्रत्येक को उनके योग द्वारा गुणित करने पर दो इष्ट हरों की उत्पत्ति होती है ॥४५॥
उदाहरणार्थ प्रश्न हे अंकगणित के सिद्धान्तों के ज्ञाता ! दो इष्ट भिन्नीय राशियों के हर निकालो जब कि उनका योग या तो अथवा हो ॥८६॥
जिनका अंश १ अथवा कोई और संख्या है ऐसे दो इष्ट भिन्नों के हरों को निकालने के लिये नियम जब कि उन भिन्नों के योग का अंश १ अथवा कोई और संख्या हो
कोई भी एक (either) अंश चुनी हुई संख्या द्वारा गुणित होकर, तब अभ्य अंश द्वारा मिलाया जाकर, तब इष्ट भिन्नों के दिये गये योग के अंश द्वारा विभाजित होकर ( ताकि कुछ भी शेष न रहे,) और तब ऊपर की चुनी हुई संख्या द्वारा विभाजित होकर तथा इष्ट भिन्नों के योग के हर द्वारा गुणित होकर, चाहे हुए हर को उत्पन्न करता है । अन्य भिन्न का हर इस हर को ऊपर की चुनी हुई राशि द्वारा गुणित कर प्राप्त कर सकते हैं ।।८।।
( ८५ ) बीजीय रूप से, जब दो इष्ट भिन्नों का योग है, तो इस नियम के अनुसार भिन्न क्रमशः तथा (पन-१) होते हैं, जहां प कोई भी चुनी हुई राशि है। यह शीघ्र देखने में
आवेगा कि इन दोनों भिन्नों का
अ (अ+ब)
अथवा, जब , तब भिन्नों को
-लिया जा सकता है। तब भिन्ना का
+ब) ( ८७ ) बीजीय रूप से, यदि अ और ब अंश वाले दो इष्ट भिन्नों का योग में है तो वे भिन्न अ और _____ होंगे, जहाँ 'प' कोई भी संख्या इस तरह चुनी गई है कि अप+बन म प
प अप + ब को म द्वारा विभाजित किया जा सके । इन भिन्नों का योग प्राप्त होगा।
अ- और अप+बनप