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________________ ( ११४ ) सर्व ७२७ rrmxx ५८ ७३० सूत्रांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक मुहूतों के नाम ५३ ७२५ परिशिष्ट ७४७-८४४ दिवस और रात्रियों के नाम ५४ ७२६ । परिशिष्ट १: १.११ ७४७-७५४ अवम रात्रियों की और अतिरिक्त रात्रियों की एक ७४७ संख्या और उनके हेतु ५५ ७२७ ७४७ कति ७४७ तिथियों के नाम ५६ लौकिक गणित के प्रकार ७४८ करण के भेद और उनके चर-थिर की प्ररूपणा ५७ लोकान्त और अलोकान्त का स्पर्श ७४८ ऋतुओं के नाम और काल प्रमाण अधोलोक आदि से धर्मास्तिकाय आदि का स्पर्श ६ जम्बूद्वीप की चारों दिशाओं में वर्षा आदि अधोलोक आदि से धर्मास्तिकाय आदि का अवकी प्ररूपणा ५६ ७३१ गाहन अढाई द्वीप में काल का प्रभाव द्रव्य की अपेक्षा से लोकालोक की श्रेणियों का लोक में रात्रि-दिन संख्येय, असंख्येय और अनन्तत्व . ८ ७५० मनुष्य लोक की मर्यादा ७३५ प्रदेश की अपेक्षा से लोकालोक की श्रेणियों का अलोक प्रज्ञप्ति-१-६७३७-७३६ ___संख्येय, असंख्येय और अनन्तत्व ८ ७५१ लोकालोक की श्रेणियाँ : सादि सपर्यवसितत्व अलोक का एकत्व ७३७ आदि ६ ७५२ द्रव्य से अलोक का स्वरूप द्रव्य की अपेक्षा से और प्रदेशों की अपेक्षा से काल से अलोक का नित्यत्व ३७३७ लोकालोक श्रेणियों का कृतयुग्मादित्व भाव से अलोक का अरूपत्व १० ७३७ ७५३ ४ अलोक के संस्थान का निरूपण ७३७ श्रणियों के सात भेद . .. .. ११ ७५४ अलोकाकाश का स्वरूप ६७३७ परिशिष्ट २: माप निरूपण . ..१-६७५४-७६० अलोक के एक आकाश प्रदेश में जीवादि नहीं है ७ क्षेत्र प्रमाण निरूपण १- ५ ७५४ ७३८ उत्सेधांगुल के प्रकार ७५४ अलोक की महानता ८७३८ अलोक का स्पर्श ७३६ प्रमाणांगुल ७५६ प्रमाणांगुल के तीन प्रकार ६ ७६० लोकालोक प्रज्ञप्ति-१-१०७४१-७४६ परिशिष्ट ३ : महत्त्वपूर्ण तालिकाएँ ७६०-७६८ जीव और पुद्गलों का लोक से बाहर गमन जम्बूद्वीपवर्ती क्षेत्र और पर्वतों के आयाम१७४१ विष्कंभ ७६० अलोक में देव का हाथ आदि फैलाने के जम्बूद्वीपवर्ती क्षेत्र और पर्वतों के खण्ड असामर्थ्य का निरूपण अढाई द्वीपवर्ती शाश्वत पर्वत तालिका ७६१ आकाशास्तिकाय के भेद अढाई द्वीपवर्ती कूट तालिका ७६१ लोकाकाश का स्वरूप ७४२ अढाई द्वीप में कूट (शिखर) एवं पर्वत ७६२ लोक के चरमाचरम विभाग ५ ७४२ चौदह प्रपात कुण्डों के प्रमाणादि र अलोक के चरमाचरम विभाग ७४३ पूर्वविदेह और अपरविदेह में छिहत्तर कुण्ड लोक के चरमाचरम पदों का अल्प-बहुत्व तथा उनका प्रमाण अलोक के चरमाचरम पदों का अल्पबहुत्व सोलह महाद्रह की तालिका लोकालोक के चरमाचरम पदों का अल्पबहुत्व ७४४ देवकुरु में निषधाद्रि पाँच द्रह तथा द्रहदेवों के -लोक, अलोक और अवकाशान्तर आदि में भवन और भवन द्वारों का प्रमाण पूर्वापर कौन ? १० ७४५ उत्तरकुरु में नीलवन्तादि पाँच द्रह तथा द्रह(रोहा अणगार के प्रश्न और समाधान) देवों के भवन एवं भवनद्वारों का प्रमाण or muxur, . अशक्य ७६० ७४१ ७४१ ७६२
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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