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________________ ( १०४ ) ३४८. ३२७ ६०५ ३४६. ६०८ ६२२ गोन सूत्रांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक नरकान्ता महानदी का लवणसमुद्र में मिलना ६.१ ३२६ दकभास आवासपर्वत के नाम का हेतु ६५६ : ३४७.. नारीकान्ता महानदी का लवणसमुद्र में मिलना ६०२ ३२७ शिविका राजधानी ६५७ ३४८ शीतामहानदी का लवणसमुद्र में मिलना ३२७ शंख आवासपर्वत की अवस्थिति और प्रमाण ६५८ शीतोदा महानदी का लवणसमुद्र में मिलना ६०४ शंखा राजधानी ३४८: जम्बूद्वीप में एक सौ दो तीर्थ ३२८ दकसीम आवासपर्वत की अवस्थिति और अन्तरद्वीपों की प्ररूपणा६०५ ३२९ प्रमाण ३४८. एकोरुकद्वीप के स्थान-प्रमाणादि ३२६ दकसीम आवासपर्वत के नाम का हेतु पद्मवरवेदिका और वनखण्ड का प्रमाण ३२६ मनःशिला राजधानी ६६२ ३४६'. एकोरुकद्वीप में वनमाला ३३० चार अनुवेलंधर नागराजों का वर्णन ३४६. एकोषकद्वीप में दस प्रकार के वृक्षों के समूह ६०६ ३३१ जम्बूद्वीप के चरमान्त से गोस्तूपादि पर्वतों के हयकर्णादिक द्वीप चतुष्क ३३७ चरमान्तों का अन्तर ३५०. आदर्शमुखादिक द्वीप चतुष्क ६२२ ३०८ मंदरपर्वत और गोस्तूपादि चरमान्तों का अश्वमुखादिक द्वीप चतुष्क ३३८ अन्तर ६६८ ३५१ अश्वकर्णादिक द्वीप चतुष्क ३३८ मंदरपर्वत के मध्यभाग से गोस्तूपादि पर्वतों के उल्कामुखादिक द्वीप चतुष्क ३३८ चरमान्तों का अन्तर ३५१ घणदंतादिक द्वीप चतुष्क ६२२ ३३८ गोस्तूपादि पर्वतों के चरमान्तों से वलयाऔत्तरेय एकोरुकादि द्वीपों के स्थान-प्रमाणादि ६२६ ३३६ मुखादि महापाताल कलशों के चरमान्तों लवणसमुद्र वर्णन ६२७-६६६ ३३६-३६० का अन्तर ६७२. लवणसमुद्र का संस्थान, विष्कम्भ और परिधि गोस्तूपादि पर्वतों के चरमान्तरों से वलयाका प्रमाण ६२७ ३३६ मुखादि महापाताल कलशों के मध्य भागों लवणसमुद्र की पद्मवरवेदिका का तथा बनखण्ड ___का अन्तर ६७३ ३५२ का प्रमाण ३४० गोस्तूप के चरमान्त से वलयामुख महापाताल६३४ काश के मध्यभाग का अन्तर ३४१ ६७४. लवणसमुद्र की उदकमाला का प्रमाण ३५२. लवणसमुद्र के उद्रे धादि का प्रमाण ३४१ लवणसमुद्र के जल से जम्बूद्वीप के जलमग्न न लवणसमुद्र में गहराई की वृद्धि ६३८ ३४१ होने के कारण ६७५ ३५२ लवणसमुद्र की उत्सेध परिवृद्धि ६३६ ३४१ लवणसमुद्र में दिव्यों का स्वरूप ६७६ ३५४ लवणसमुद्र की वृद्धि और हानि के कारण ३४२ जम्बूद्वीप के प्रदेशों का लवणसमुद्र से स्पर्श ६७७ तीस मुहूर्त में लवणसमुद्र बढ़ता है और लवणसमुद्र के प्रदेशों का जम्बूद्वीप से स्पर्श ६७८ घटता है ६४६ ३४४ जम्बूद्वीप के जीवों की लवणसमुद्र में उत्पत्ति ३७६ लवणशिखा का चक्रवाल विष्कम्भ लवणसमुद्र के जीवों की जम्बूद्वीप में उत्पलि. ६८०. ३४५ ६४८ ३५५. लवणसमुद्र के चार द्वार लवणसमुद्र के वेलन्धर नागराजों की संख्या ३५५ चार वेलधर नागराजों का वर्णन लवणसमुद्र के एक द्वार से दूसरे द्वार का अन्तर ६८६ गोस्तूप आवासपर्वत की अवस्थिति और लवणसमुद्र के नाम का हेतु प्रमाण . ६५१ ३४६ लवणसभा लवणसमुद्र के पूर्व-पश्चिम चरमान्तों का गोस्तूप आवासपर्वत के नाम का हेतु अन्तर ६८८ ३५७. गोस्तूपा राजधानी लवणसमुद्र के गोतीर्थ का और गोतीर्थ-विरहित दकभास आवासपर्वत की अवस्थिति और । क्षेत्र का प्रमाण ६८६, ३५७. प्रमाण ६५५ ३४७ गौतम द्वीप का वर्णन ३५५: ६८१ ३४७
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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