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________________ परिशिष्ट नं० २ इसिमासियाई-अस्थाहिगारसंगहिणी प्रस्तुत सूत्र की द्वितीय संग्रहिणी में अध्ययनों के नाम दिये गये हैं। अध्ययमों के नाम करण की विविध शैलियाँ होती हैं । कमी अध्ययन में वर्णित विषय के अनुरूप अध्ययन का नामकरण होती है तो कभी वक्ता के नाम पर भी अध्ययन का नाम होता है। तो कभी अध्ययन की प्रथम गाय के प्रथम शह पर ही अध्ययन का नाम करण कर दिया जाता है। प्रस्तुत सूत्र में तीसरी शैली का आश्रय लिया गया है । अध्ययन के प्रथम शब्द के अनुरूप अध्ययनों का नामकरण किया गया है। द्वितीय संग्रहिणी पंच माथाओं में अध्ययनों के नाम दिये गये हैं। सोय जैस्स अविलेवे, आदाणरक्खि माणे य । तम सँवं आए जाव य सद्धेय जिम्वेय ॥१॥ लोगेसैणा किमत्थं जुस सेतो तन्थेव घिसये। विजा धजे औरिय उकैल गौहंति जाणामि ॥२॥ पडिसाडी वैणा दुबैमरणे सच तहेवं वसे य५ । धम्मे य साँह सोते संबंति अहसवतो सेंमेलोप ॥ ३ ॥ किसी केले य पंडित सहणा सह कुप्पणा य बोद्धव्वा । तपत उदय य सुम्वा पवि तह इच्छणिच्छा य ॥ ४ ॥ अजीवओ य अजेण य एसितध्व बहुयंतु । लोभे दो ठाणेहि य ॲप पापाण हिंसायु ॥५॥ - इसिभासित अस्थाहिगार संगहिणी समत्ता। अर्थः-अविभाषित सूत्र की अर्थाधिकार संग्रहिणी के अनुसार पैंतालीस अध्ययनों के नाम इस प्रकार हैं। १. सोयन्वं, २. जस्स, ३. अभिलेन, ४. पादाण विख, ५. माण, ६. तम, ७. सच्च, ८. आगए, ९. जाव, १०. सदेय, ११. णित्रेय, १२. लोकसणा, १३. किमत्थं, १४. जुलै, १५. साता, १६. विसय. १७. विजा, १८. वज, १९. आरिय, २०. उक्कल, २१, णाहंति जाणामि, २२. पडिसाडी २३. ठवण दुवेमरणे, २४. सव्वं, २५. वंस, २६. धम्म, २७. साहु, २८. सोत, २९. सत्रेति, ३०. अहसयतो, ३१. समेलोए, ३२. किसी, ३३. बाले, ३४. पंडित महणा, ३५. कुप्पणा, ३६. तप्यत, ३७, उदय, ३८. सुब्बा, ३९. पाव, ४०. इच्छाजिच्छ, ४१. आजीवओ, ४२. अप्पजिण, १३. लामे, ४४. दोठाणेहि, ४५. अप्पं पापाण हिंसायु।। - - - १. शस्त्र परिक्षा अध्ययन-आचार।ग प्र० अ० विनय श्रुत अध्ययन उत्तराध्ययन प्रथम अ. २. काविलीयमध्ययनम्. उत्तरा० अ० ८. शकस्तव. ३. लोगस्स, नमोत्थुण, भक्तामर.
SR No.090170
Book TitleIsibhasiyam Suttaim
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharmuni
PublisherSuDharm Gyanmandir Mumbai
Publication Year
Total Pages334
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size10 MB
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