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________________ (१०) (३) नियम अटल है । (४) ये नियम सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु पर भी शासन करते हैं और कोई वस्तु इनका उल्लंघन नहीं कर सकती । इस लिये सिद्ध है कि ईश्वर ! (१) नियन्ता है। (२) ज्ञानवान अर्थात् सर्वत्र है । (३) एक रस है । (४) सूक्ष्म से सूक्ष्म अर्थात् निराकार) और सर्वशक्तिमान है।" आदि · पहली तीन बातोंको तो सभी श्रास्तिक मानते हैं परन्तु चौथी बातमें बहुत मतभेद हैं। यह मतभेद दूसरे रूप में उपस्थित किया जाता है । यों तो कोई आस्तिक इस बात का निषेध नहीं करता कि ईश्वर सूक्ष्म और सर्व शक्तिमान है । परन्तु इसके साथ साथ ही बहुत से लोग मानते हैंकि ईश्वर साकार है या साकार होसकता हैं। निराकारवादियों और साकर वादियों का पुराना झगड़ा है और इस झगड़े के ऊपर ही अन्य बहुत से मतभेद की नीव रक्खी गई है। मैं समझता हूँ। कि यदि यह झगड़ा सुलझ जाय तो संसार के बहुत से नास्तिक आस्तिक परस्पर मिल जाये और बहुत से नास्तिक नास्तिकता छोड़कर आस्तिक बन जाये। परन्तु भिन्नर मस्तिष्क भिन्नर रीति से सोचते हैं । देखना चाहिये कि साकार का क्या अर्थ है ? आकार या आकृति का सम्बन्ध हमारी इन्द्रियोंसे हैं। साकार वस्तुको ख से देख सकते और हाथ से छू सकते हैं। जो ऐसी वस्तु नहीं है उसे निराकार कहते हैं । कि सृष्टि में दोनों प्रकार की वस्तुएं हैं। शतपथ ब्राह्मण १४|५|३ | १ में लिखा है । द्वेवाच ब्रह्मणो रूपे मूर्त चैवामृतं ।
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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