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( ६ ) होसी है। क्योंकि ईश्वर जैसी असंभव वस्तु को सिद्ध करने के लिये जितनी भी कल्पना की जायेगी वे सब असंभव होंगी। उनको युक्तियोंसे सिद्ध करना नितान्त असम्भव है।
__ क्या ईश्वर व्यापक है ? जो भाई ईश्वरको सर्च व्यापक मानने हैं वे ईश्वरको निमिस कारण नहीं कह सकते। क्योंकि यह नियम है कि निमित्त कारण हमेशा एक देशी ही होता है । और वह कार्य आदि में व्यापक नहीं होता । कार्यमें जो व्यापक रहता है, उसे 'समवायी' ( उपादान ) कारण कहते हैं। जैसा कि लिखा है-स्वसमवेत कार्योत्पादक समवाग्रि कारणम | " जिस कार्यमें कारणसमवेत रहता है उसे समवायी (उपादान) कारण कहते हैं । जैसे घटको मृत्तिकाके साथ समवाय सम्बन्ध है । घट मृति कासे कभी पृथक नहीं रह सकता । अतः मृत्तिका घटका समवायी (उपादान) कारण है। इसी प्रकार तन्तु पटका समवायी (उपादान) कारण है। आदि श्रादि । अभिप्राय यह है कि यह सातन्त्रिक सिद्धान्त है कि अपादान कारण वह है जो कार्य में व्यापक रहे और निमित्त कारण यह है जो कायमें व्यापक न रहे । अतः यह सिद्ध है कि निमित्त कारण वह है जो कायमै झ्यापक न रहे। अतः यह सिद्ध है कि निमित्त कारण सवथा अध्यापक व पक देशी ही होता है निमित्त कारण कार्य में व्यापक नहीं होता
जे. एस, मिल, ने धर्म सम्बन्धी तीन “लेखों ( Three Essays on Religion ) में इस प्रश्नकी मीमांसा की है। प्रश्न वस्तुत: गूढ और विचारणीय है। घडीका बनाने वाला धड़ीमें व्यापक नहीं होता जिंस पुस्तक को मैं लिख रहा हूँ उसमें मैं