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________________ । ७४६ ) जिस वस्तुको हम तोड़ सकते हैं उसके बना हुआ सिद्ध करनेमें क्या आपत्ति है ? और संसारमें ऐसी कौन सी वस्तु है जो तोड़ी नहीं जा सकती ? वस्तुतः संसारकी सभी वस्तुएं विश्लेषण ( analysis) और संश्लेषण ( synthesis ) नामक दो क्रियाओं हाया मागही है। मानो निहीं हो पानीको मिनर नई चीज चना देते हैं, जैसे फूलोंके गुलदस्ते या पहले कुछ चीजोंको तोड़ डालते हैं और उनके टुकड़ोंको जोड़ कर एक नई चीज अना देते हैं जैसे मकामका दरवाजा। ____यहां एक बात कही जा सकती है। साइन (science) वेत्ता यह कह सकते है कि संसारकी सभी वस्तुयें तत्वोंसे बनी हैं परंतु वह तत्व किसीसे नहीं बने । अर्थात् विश्लेषण करते करते हम परमाणुओंकी एक ऐसी अवस्था पर पहुंच सकते हैं कि जिसके आगे विश्लेषण हो ही नहीं सकता । इसलिए उन परमाणुओंका बनना सिल नहीं हो सकता यह तो हो सकता है कि उन परमाशुओंके मिलनेसे दूसरी चीज् बन गई. परन्तु यह कैसे माना जाय कि वह परमाणु भी किसी अन्य पदार्थसे बने हैं । यदि कभी यह सिद्ध भी हो गया कि जिनको हम परमाणु ( परम अणु) कहते हैं वह भी किन्हीं अन्य चीजोंके मिलनेसे बने है तो हम इन बनी हुई चीजोंको परमाणु न कह कर दूसरोंको परमाणु कहने लगेगे। इस प्रकार अंतको एक ऐसे स्थान पर अवश्य पहुंचना पड़ेगा जहांसे आगे नहीं चल सकते। इसी आक्षेप को महाशय J. S Mill ने अपनी Three essays in Rebgion नामक पुस्तकमें इस प्रकार वर्णन किया है: "सृधिमें एक स्थाई तत्य है, और एक अस्थायी । परिणाम सदा पहले परिणामों के कार्य रूप होते हैं। जहां तक हमको ज्ञात है स्थायी सत्तायें कार्य रूप है ही नहीं। यह सत्व है कि हम घट
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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