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________________ का चक्र बराबर घूमा करता है । सभी पूर्ण वस्तुओं से उसी प्रकार प्रभा मण्डल का प्रवाह, बराबर बाहर निकलता रहता है। इस प्रकार निष्क्रिय परमेश्वर से सृष्टिका प्रवाह सदैव जारी रहेगा। ग्रीस मेश के अणु सिद्धान्त यादी त्यसिपिस और डिमाद क्रिस का कथन है कि जगत का कारण परमाणु है । यह परमाण कभी स्थिर नहीं रहते हैं। गति उनका स्वभाविक धर्म है और वह अनादिया मनन्त है । ३६ के मतानुसार सात देश हे ही उत्पन्न होता रहेगा और ऐसे ही नाश होता रहेगा। परमाणुओं की गति चूकि कभी नष्ट नहीं होती, अतएव यह उत्पत्ति विनाश का क्रम कभी थम नहीं सकता | अच्छा अब इन निरीश्वर वादियों का मत छोड़ कर हम इसका विचार करते हैं कि. ईश्वरका अस्तित्व मानने वाले भारतीय आर्य दार्शनिकोंने इस विषयमें क्या कहा है? उपनिषदों में ऐसा वर्णन आता है कि "आत्मैव इदमन आसीत् सोऽमन्यत बहुस्याम प्रजाति पहले केवल परब्रह्म ही था। उसके मनमें आया कि मैं अनेक होऊँ, मैं प्रजा पालन करूं । निक्रिय परमात्माको पहले इच्छाहुई और उस इच्छाके कारण उसने जगत् उत्पन्न किया । वेदान्त तत्वज्ञानमें यही सिद्धान्त स्वीकार किया गया है। वेदान्त सूत्रों में बादरायण ने 'लोकस्तु लीला कैवल्यम" यह एक सूत्र रखा है । जैसे लोगों में कुछ काम न होने पर मनुष्य अपने मनोरंजन के लिये केवल खेल खेलता है. उसी प्रकार परमामालीला से जगत का खेल खेलता है। यह सिद्धान्त अन्य सिद्धान्तों की भांति ही संतोष जनक नहीं है। अर्थात् परमेश्वर की इच्छा की कल्पना सर्वदेव स्वीकार योग्य नहीं है। परमेश्वर यदि सर्व शक्तिमान् सर्वात और दयायुक्त है। ता लीला शब्द उसके लिये ठीक नहीं लगता। यह बात सयुक्तिक नहीं जान पड़ती कि, परमश्वर साधारण मनुष्ग की तरह खेल खलता है। इसके सिवा
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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