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________________ इस सिद्धान्तमें वह परमारण अनेक शक्तियोंके केन्द्र हैं । ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार हमारा सूर्य इस सौर मण्डल का। जिस प्रकार अनेक ग्रह, उपग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं । उसीप्रकार परमाणु, अनेक शक्तियों का केन्द्र है । अर्थात् इस सिद्धान्त में प्रकृति शक्तियों से भिन्न कोई वस्तु नहीं, और न जैसाकि साधारणतः समझा जाता है, शक्ति परमाणाओं का कोई धर्म है ! बतिक परमाणु और प्रकृति स्वयं शक्ति रूप है । उस शक्ति Energy or Force से भिन्न कोई अतिरिक्त वस्तु जगत में नहीं है। .. द्रव्य नियम अरनेस्ट हैकलने इस विश्व-व्याख्या करनेके लिये दूसरे नियम की रचना की है, जिसका नाम उसने Law of Substance रखा है । हैकलके उसी नियम को हम द्रव्य-नियम शब्द से निर्दिष्ट कर रहे हैं। हैकल का यह द्रव्य-नियम वस्तुतः कोई नया नियम या उसका अपना आविष्कार नहीं है, बल्कि उसकी रचना पुराने दो नियमके सम्मिश्रण कर देनेसे हुईहै. इनमेंसे पहिला नियम रासायनिक विज्ञान का द्रव्याक्षरत्व-वाद का है। और दूसरा भौतिक विज्ञान का शक्ति साम्य का सिद्धान्त है। संक्षेप में इस सिद्धान्त का आशय यह है कि इस अनन्त विश्व में व्यापक प्रकृति या द्रव्य का परिमाण सदा समान रहता है। उसमें कभी न्यूनाधिक्य नहीं होता न किसी वर्तमान द्रव्य का सर्वथा नाश होता है और न किसी सर्वथा नूतन द्रव्यकी उत्पत्ति होती है । साधारण दृष्टिसे जिसे हम द्रव्यका नाश हो जाना समझते हैं वह उसका रूपान्तरमें परिणाम मात्र है। उदाहरण के लिये कोयला जल कर राख हो जाता है. हम साधारणतः उसे नाश हो गया कहते हैं, परन्तु वह वस्तुतः
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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