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________________ ( १४५ ) (३) मध्यमाका प्रथम पर्व लम्बा होकर चतुष्कोण आकृतिका हो तथा बुध व मंगलके पर्वत पर कासका चिन्ह हो । दुष्ट के लक्षण मस्तिष्क रेखा व अन्तःकरण रेखा बिलकुल समीप रह कर बुधका पर्वत सबसे अधिक ऊँचा उठा हुआ हो । (२) अंगूठा छोटा होकर अंगुलियां लम्बी तथा चन्द्रका पर्वत सबसे अधिक ऊँचा उठा हुआ हो । (३) के पर्वत पर शुक्रकी रेखा आई हो । (४) मस्तिष्क व अन्तःकरण रेखाओं पर जगह जगह बिन्दु सदृश चिन्ह हो तथा आयु रेखा के अन्त में त्रिको चिन्ह हो । धनहीन (१) धन रेखा जंजीरके समान आकृति की | हो और बारीक चारीक रेखाओंसे धन रेखा व आयु रेखा छेदती हुई हो। (२) धन रेखा जगह जगह से टूटी हो, अन्तःकरण रेखा और धनरेखा स्थान स्थान पर अन्य रेखाओंसे छेदी हो । (३) धनरेखाका उदय मणिबन्धकी रेखाके नीचे के भाग में से होकर मध्यमाके तीसरे पर्व तक गया हो । (४) मणिबन्ध रेखा स्थान स्थान से टूटी हो । (५) शुक्र पर्वत पर क्रास या तारे का चिन्ह हो । (६) कोई रेग्वा शुक्र से होकर मंगल पर गई हो । (७) शुक्र पर्वत पर जाली समान चिन्ह होकर अन्तःकरण रेखा जगह जगह चिन्हांकित हो और धन रेखाका उदय चन्द्रके पर्वत होकर मस्तिष्क रेखा तक ही गया हो । (c) बुध पर्वत पर कासका चिन्ह होकर उसकी एक शाखा अन्तःकरण रेखा में मिली हो तो अकस्मात द्रव्य जाता है।
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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