SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 637
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कलियुगका कब प्रारम्भ हुमा इस सम्बन्धमें भी शास्त्रकारों तथा माधुनिक विद्वानों में भी भयानक मतभेद पाया जाता है। (१) मद्रासके सुप्रसिद्ध विद्वान विलन्डी के अय्यरका मत है कि कलियुगका आरम्भ १९५६ शक पूर्व है। (२) पं० रमेशचन्द्र दत्त और अनेक पाश्चात्य पशिजतोंका कथन है कि कलियुगका प्रारम्भ १३२. वर्ष शक पूर्ण है। (३) मिश्र बन्धुओंने सिद्ध किया है कि २०६६ वर्ष शक पूर्व कलिका प्रारम्भ हुमा । (४) राजतरंगणीके हिसाबसे २५२६ शक पूर्व कलिका प्रारम्भ ठहरता है। (५) वर्तमान पंचाङ्ग में तथा लोकमान्य तिलक आदिके मतसे ३१४६ वर्ष शक पूर्वका समय आता है । (1) फैलाशवासी माउकके मतसे कलिका प्रारम्भ ५०० वर्ष शक पूर्ण का है। (७) वेदान्तशास्त्री विलाजी रघुनाथ लेलेके मतसे ५३.६ वर्ष शकपूर्व कलिका प्रारम्भ हुला। हमने यहां मतोका दिग्दर्शन मात्र कराया है। इसी प्रकार अनेक मत है । यहाँ ५११६ वर्ष और ५३०६ वर्षकी संख्याओंका भेद कितना विशाल है। - इस पर जरा दृष्टि डालो। इस भारी अन्तरका कारण यही है कि वास्तव में कलि आरम्भ हुमा ही नहीं है, यह तो एक निराधार कल्पना मात्र, जो उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी के विरोध में की गई थी। या उत्सर्पिणी और अवसपिणांके प्रचारको नष्ट करने के लिये की गई थी । यही कारण है कि किसीने कुछ अनु
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy