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________________ ( ५७५ ) धर्म विशेषताद् द्रव्यगुण कर्म सामान्य विशेषप्रसूताद् द्रव्यगुण कर्म सामान्य विशेष समवायानां पदार्थानां साधर्म्य वै धम्यां तत्वज्ञानाभिः श्रेयसाधिगमः" (१।१।४० ) इस सूत्र से मुक्ति की प्राप्ति बतलाई है - ( इस सूत्र में अभाव नामक सप्तम पदार्थका उल्लेख नहीं है) और गौतमने अपने सोलह पदार्थोंके तत्वज्ञानसे "प्रमाण प्रमेय संशय प्रयोजन दृष्टान्त सिद्धान्तावयवतर्कनिर्णयवादजल्पवितण्डा हेत्वाभास च्छलजातिनिग्रहस्थानानां तत्वानान्निः श्रेयसाधिगमः” (१|१|१) इस सूत्रद्वारा मुक्तिक' उपाय बतलाया कपिलने प्रकृति पुरुष के भेदज्ञान से "दानुविकः सहा विशुद्धयातिशय युक्तः तद्विपरीतः श्रेयान् व्यक्ताव्यक्तज्ञ विज्ञानात् " (का० २) तथा पतञ्जलि ने भी चित्तवृत्तिनिरोध " योगश्चित्त वृत्ति निरोधः " 'तदा द्रष्टुस्वरूपेऽवस्थानम् ' (१।३) आदि से मोक्ष प्राप्ति बतलाई है। इसी प्रकार जैमिनिने धर्मानुष्टान से नित्यसुख रूपी मोक्षकी सत्ता मानी है । ईश्वरका पूरा उपयोग तो इन दार्शनिकों के सिद्धान्तों में श्राता ही नहीं । आगे चलकर भाष्यकारों तथा अन्यान्य टीकाकारोंके साथ ही अन्यान्य अंधकारों (न्याय कुसुमाञ्जलिकार ईश्वरानुमान चिन्तामणिकार ने वैशेषिक और न्यायदर्शनमें ईश्वरका प्रवेश प्रस्थवतः कर दिया है, किन्तु मीमांसा और सांख्यमें तो आगे चलकर भी किसी ग्रन्थ में प्रत्यक्ष ईश्वर-सिद्धि का उल्लेख नहीं है । :
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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