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________________ शाखयोनित्वात् ॥ ३ ॥ सम्पूर्ण शास्त्रों का मूल कारण होने से. अात्म का सर्वत्रत्व सिद्ध है । शास्त्र में दो बातें होती हैं। १ भाषा र ज्ञान संसार की सम्पूर्ण पुस्तके किसी न किसी भाषा में लिखी हैं. इन भाषाओं का तथा उन पुस्तकों में जो झान है उन सबका मूल कारण आत्मा है. अतः श्रात्मा सर्वज्ञ सिद्ध होता है। क्यों कि आज तक जितना ज्ञान प्रकाशित हो चुका है. उसका भी अन्त नहीं है. इन समझानों का तथा सब भाषाओं का मूल कारण श्रात्मा ही हैं। यदि इसका मूल कारण प्रात्मा न होता तो जड़ पदार्थ भी भाषा बोलत नजर आते तथा वे भी पुस्तके निर्माण करते परन्तु श्राज तक कोई भी व्यक्ति किसी जड़से भाषा या ज्ञान नहीं सीखा. अतः ये आत्मा अस्तित्व में लथा सर्वझता में प्रमाण हैं। अभिप्राय यह हैकि अनादि कालसे आज तक जितनी भाषाओंका व ज्ञानका आविष्कार हुआ है । और भविष्य में जो श्राविकार होगा । उन सबका मूलकारण आत्मा था, आत्मा है. आत्मा होगा । अतः सम्पूर्ण ज्ञान, व भाषाओंका मूलकारण आत्मा है । अतः जिस आत्मा द्वारा अनन्त झान का प्रकाश हो चुका हो. लस श्रात्मा के सर्वश होने में सन्देह ही नहीं करना चाहिये। श्रात्मा को न मानने वालोंको श्रुति ललकारती है कि अन्त्रि ? नास्तिको जरा विचार करो ? येन वागम्युद्यते । येनाहर्मनोमतम् । येन चक्षुपि पश्यति, येन प्राणः प्रणीयने । केम-३० कि जिसके कारणसे तुम बोलते हो, मनन करत हो. देखतेहो. तथा जीते हो उसी आत्माको अस्वीकार करतेहो। यदि यह आत्मा
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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