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________________ 2. रा 7 = · ( ३५३ ) "परशु, त्रिशूल, धनुष्यबाण, तथा अन्य शख" थे "पाशुपाख" नामक बड़ा तेजस्वी अस्त्र महादेव के पास था, तथापि साथ साथ हम पूर्वोक्त शब्दको भी भूल नहीं सकते। पांडवोंका अर्जुन वीर महादेव के पास शस्त्र सीखनेके लिये जाता है और उनसे शस्त्र प्राप्त करके अपने आपको अधिक बलवान अनुभव करता है । ये बातें भी हमें इस समय विचार कोटी में लानी चाहिये। परशु त्रिशूल बारा ये शस्त्र अच्छा फोलाद बनाने वालोंका युग बता रहें हैं। और पूर्वोक कृत्तिवास:" आदि शब्द बहुत पूर्वकाल की ओर हमें ले जा रहे हैं । इसलिये हम अनुमान 'ल दोनों युगों के मध्यका काल इस सभ्यता के लिये मान सकते हैं। . भूमि पर एक ही समय विभिन्न अवस्थाकी सभ्यतायें विभिन्न देशों में रहती हैं। देखिये इस समय युरोप में विमानों और मोटरों की सभ्यता है, भारतमें बेलगाड़ीकी सभ्यता है और तिब्बत में पैदल चलने की सभ्यता है । परन्तु भारतवर्ष मे युरोपीयनोंके कारण विमान और मोटरें आती हैं और कई धनी भारतीय लांग भी मोटरोंकी सवारी उपभोगते हैं । तथापि यह माना नहीं जायगा कि इस समय भारतको सभ्यता मोटरोकी है. क्योंकि यहाँ भारतियों की बुद्धिमता से मोटर तो क्या परन्तु मोटरका एक भी भाग बनता नहीं है। इस प्रकार आदि लोग युरोपकी उत्तम बंदूकें बर्तते है परन्तु वे स्वयं उन बंदूकों को पना नहीं लकते । पठान लोग स्वयं करीब करचे चमड़े की सभ्यताले थोड़े ऊपर रहते हुए भी विमानोंके युगकी बंदूकें बता सकते हैं। इसका कारण यही है कि अन्य देशके बने हुए पदार्थ दूसरे देश में लाये जाते हैं और वहां उसका उपयोग किया जाता है इसी प्रकार भूतिया लोग बहुत प्राचीन काल में कच्चे चमड़े वर्तनेकी अवस्था में रहते हुए भी बाहर के देशले बने हुए फोलाद आदि लाकर कुछ -
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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