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________________ -- ---.---... - ..- . .. रुद्रः रोति इति सतः रोख्यमाणों द्रवति, इति वा । रोदय ते ॥: । : . : .. . " अर्थात्-जो रोता है .अहम है अथवा बार बार या अतिशय रोकर चलता है. इससे रुद्र है: अधया रोदयति प्राणियों को रुलाता है इसस रुद्र है । १३ । १।५ . . .:: अभिप्राय यह हैकि. (क)जोरोशा) जो रोता है. (८) जो रोता हुया चलता है. (४) जो रुलाता है । वह मन्द्र है निरक्तकार के मतसे यहं मध्यम स्थानीय वायु देवता है। क्योंकि बायु शान करता हुआ चलता है। आगे निरुक्तफारने--- - : . . "अग्नि रपि रुद्र उम्यते" .... " कह कर अमिका नाम श्री रुद्र सिद्ध किया है. तथा अपमे इम मतको पुष्टिम ,अधययेदका मन्त्र भी लिख दिया है। अतः निरुत्तकारके मतमें 'रुद्र' श्रमि अथवा वालुका नाम है, ईश्वरका नहीं है । . . . . F .. o • IR :. : ... ब्राह्मण ग्रन्त्य और रुद्र , .. अनिरुद्रः श. ५शक्ष१. . . . . ." रुद्रो अग्निः । ता० १२ । ४ । २४ : एष रुद्रः, यसि । ते०१ । १. ५८ प्राणा व रुद्राः प्राणाहीदं सर्व सेदयन्ति ।. . .. .. " .. कतमै रुद्री इति दशेमे पुरेपे प्राणी आत्मकादशम्ने यदस्मान्यांच्छरीरादुत्क्रामन्यथ. रोदयन्ति तद्योदयास्त; तस्माद् रुद्रा । इति श० ११ । ६ । ३ ७ ... ... ..
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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