________________
दिया रहिस ) तथा भाया और अषिधासे रहिस महै। स्व. रूपतः ब्रा और जीयमें अभेद है, अब जीवकी अविद्या नष्ट हो जाती है तो यही ईश्वर हो जाता है । पुनः मायाके नष्ठ होने पर प्रय हो आता है। यहां भी ईश्वरका अर्थ जीयममुकात्मा ही है यही जगतकी रखना आदि करता है।
प्रजापति और ब्राह्मण ग्रन्थ - --उपरोक्त भने प्रमाणोंसे यह सिद्ध है कि-प्रजापति महापुरुषका नाम है । तथा ब्राह्मण प्रन्थों में भी यह शब्द अनेक भर्थों में प्रयुक्त हुआ है । यथा
अनि-एषो वै प्रजापति यदनिः। ते ११५ हृदय-एष प्रजापरिसंवदयम् : २४ मन-प्रजापति नैं मनः । कौ० १०२६३ धाक्-बाग वै प्रजापतिः । श० ५।१३५१६ सम्वत्सर-स एष सम्बस्सरः प्रजापतिः पोडशकला।
श. १४४१२ सविता-प्रजापति सविता । तां. १६२१७ प्राण-प्राणः प्रजापतिः । शत. १४ प्रम-अन्न प्रजापतिः । शत० ॥१३१७ वायु--वायुरेव प्रजापतिस्तदुक्कमृषिणा पवमानः प्रजापतिरिति । ऐ० ४ । २६
ईश्वर का अर्थ जैन परिभाषा भी तीर्थङ्कर है।