SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २०४ ) एक जाति भी है और इस नामका प्राम भी है। जिला सनारामें देवराष्ट्र डाकखाना भी है। यह नाम प्रथमतः उन लोगोंने बसाया जो कि पूर्वोक्त देवोंके राष्ट्रसे वीर यहाँ आकर बसे थे । हम आगे जाकर बतायेंगे कि इस लोगोंने भाज आकर कई ग्राम व नगर बसाये हैं, उनमें से यह भी एक नगर है, तिब्वतमें इस प्राचीन समय में जो मनुष्य रहते थे वे अपने आपको 'देव' नाम से संबोधित करते थे। यह एक बात यदि ठीक प्रकार समझ में आयेगी तो बहुत सारी पुराकी कथायें समा सकती है। | जिस प्रकार बंगाल के लोग अपने आपको बंगाली कहते हैं, चीन देशके लोगोंको चीनी कहते हैं उसी प्रकार देवराष्ट्र किंवा देवलोकके निवासियोंका नाम 'देव' था। अर्थात् ये भी मनुष्य ही थे। इतनी सीधी बात बहुत से लोग भूलते हैं. इस कारण महाभारतकी कई कथायें उनके समझ नहीं आती और किसी समय बहुत लोग अर्थका अनर्थ भी करते हैं।" ऋग्वेदका सुबोध भाष्य भाग २ पृ० ३१ जिस प्रकार इस ऐतिहासिक तथ्यको जाने बिना पुराणोंकी कथा महाभारत आदिको कथायें समझने में नहीं सकती और अनेक विद्वान् अर्थका अर्थ करते हैं. ठीक यही बात वेदांके विषय में भी है। वेदामें भी. अभि. इन्द्र, वरुण, यदि शब्दों द्वारा पूर्वोक्त देवजातिका इतिहास बताया गया है। इस तथ्यको न समझ कर अनेक विद्वानोंने (विशेषतया श्रार्य सामाजिक si) अर्थका घोर अनर्थ करनेका प्रयत्न किया है। ):
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy