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देव पत्नियां दो ३२ देवांकी ३३ ही पल्नियाँ मानी गई है. इसीलिये अथर्ववेदमें पत्नियों सहित ६६ देवता माने हैं । निरुक्त अ० १।४ ११ । में देव पत्नियोंका वर्णन है. वहाँ यह मन्त्र दिया है......
देवानां पत्नी रुशतीरवन्तु नः, प्रावन्तु नस्तुजये बाज सातये । याः पार्थिवासो या अपामपि व्रते मा नो देवीः सुवाः शर्मयच्छत ।। ऋ० ५ ! १६ १५
इससे अगले मन्त्र, ८ में उन देव पत्नियों के नाम भी बताये गय हैं। यथा---
उनमा व्यन्तु देवपत्नी रिन्द्राएपमाय्यश्विनीराद । प्रारदसी वरुणानी शृणोतुव्यन्तुदेवीर्य ऋतुर्जनीनाम् । ८
प्रश्रम मन्त्रमें सामान्य लया देव पत्नियोंका कथन तथा उनके पृथिवी. अन्तरिक्ष आदि स्थानोंका कथन (जैसा कि देवताओंका है ) किया है। यहाँ निरुक्तमें, श्री यास्काचार्य लिखते हैं कि
"इन्द्राणी, इन्द्रस्य पत्नी, अग्नायी अग्नेः पत्नी अश्विनी अश्विनो पत्नी, रोदसी सदस्य पत्नी, वरुणानी वरुणस्य पत्नी ।" आदि--
अर्थात्-इन्द्रकी पत्नी इन्द्राणी. अनि की अनायी, अश्विनीकुमारोंकी. अश्विनी, रुद्रको रोदसी, वरणकी वरुणानी. पत्मी है।
यहाँ रोहमी शब्दको भाध्यकारने एक वचनान्त माना है, क्योंकि अथर्ववेदके इसी प्रकरणम रोदसी शब्द एक वचनान्त है.