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उसमें तप का मेवा लगी धर्मरूप मिठाई संतुलित, दोषरहित आनन्द की कटोरी में शोभित है । द्यानतराय कहते हैं कि सुमति अपने सखियों से कहती है कि चेतन के साथ यह क्षमा और समता की जोड़ी युग-युग बनी रहे, चिरंजीवी रहे।
चौवा सुगंधित रस |
द्यानत भजन सौरभ
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