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संख्या भजन ... .: : :: ३१३. होरी आई आज रंग भरी है। ३१४. परमगुरु बरसत ज्ञान झरी ३१५. री ! मेरे घट ज्ञान घनागम छायो ३१६. राम भरतसों कहैं सुभाइ ३१७. कहें भरतजी सुन हो राम ३१८. ए रे वीर रामजीसों कहियो बात ३१९. कहै राघौ सीता चलहु गेह ३२०, कहै सीताजी सुनो रामचन्द्र ३२१, सुरनरसुखदाई, गिरनारि चलौ भाई ३२२. हथनापुर बंदन जइये हो ३२३. मंगल आरती कीजे भोर ३२४. इहविधि मंगल आरति कीजे ३२५. आरति श्री जिनराज तिहारी ३२६. करौं आरती बर्द्धमान की ३२७, मंगल आरति आतमराम ३२८. आरति कीजै श्री मुनिराज की
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