________________
इतना कुछ किया अब तो तू मेरे साथ चल ! तुझे अपना मानकर, परिश्रम करके तेरा पोषण किया और यह भूल गए कि यहाँ कोई भी अपना नहीं है। इस पर भी तू प्रसत्र नहीं होती, मैंने कहाँ तक अपनी समझ खो दी! ___ द्यानतराय कहते हैं कि मैंने तुझे क्या-क्या सुख दिए, तू सब जानती है ! अरे कृतघ्नी ! तुझ पर किए उपकारों को तो जरा देख । इस मिथ्यात्व और मोह के कारण अन्यजनों की मृत्यु के समय तथा अपनी देहत्याग के समय विलाप किया और इस कारण भव-भव में मैं भ्रमण करता रहा।
atta -- Marasi
nी महाराज
पाँच वर्ण - काला, पीला, नीला, लाल, सफेद; पाँच रस - तिक्त, कटु, कसैला, खट्टा, मोठा दो गंध - सुगन्ध, दुर्गन्ध; आठ स्पर्श = मृदु कठोर. स्निग्ध-रूक्ष, शीत उष्ण, गुरु लघु।
धानत भजन सौरभ