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________________ कवि द्यानतराय (वि.सं. १७३३-१७८५; ई. सन् १६७६-१७२८) कवि द्यानतराय सत्रहवीं शताब्दी के हिन्दी के जैन भक्ति रस के सुप्रसिद्ध कवियों में से एक प्रमुख कवि रहे हैं । कवि द्यानतराय आगरा के निवासी थे। इनका जन्म अग्रवाल जाति के गोयल गोत्र में हुआ था। इनके पूर्वज लालपुर से आकर यहाँ बस गये थे । इनके पितामह का नाम वीरदास था और पिता का नाम श्यामदास था। कवि द्यानतराय जी ने आगरा में उस समय पण्डित श्री मानसिंह द्वारा संचालित धर्मस्हैली का भरपूर लाभ लिया। इस धर्मस्हैली के माध्यम से पण्डित मानसिंह एवं पण्डित बिहारीदास के उपदेशों से श्री द्यानतराय को जैनधर्म के प्रति श्रद्धा जाग्रत हुई। ये विशुद्ध आध्यात्मिक विद्वान थे। इन्होंने अपना जीवन आध्यात्मिक गतिविधियों में ही लगा दिया। काव्यविधा की दृष्टि से कवि की रचनाएँ पद, पूजा-पाठ-स्तोत्र, रूपक काव्य तथा प्रकीर्णक काव्य के रूप में हैं। कवि की रचनाओं में 'धर्मविलास द्यानत क्लिास)' नामक संग्रह प्रसिद्ध है। यह ग्रन्थ 'जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, बम्बई' से सन् १९१४ में प्रकाशित हुआ था। इस ग्रन्थ में ३३३ पद, अनेक पूजाएं एवं कविताएँ संगृहीत हैं, सम्प्रति यह अनुपलब्ध है। कवि के पद स्तुतिपरक, आध्यात्मिक, उपदेशी हैं और विषय-भोग, मोह कषाय, संसार- देह का स्वरूप दर्शाते हुए इनके प्रति विरक्ति/वैराग्य जागृत करानेवाले हैं । कवि के पदों के भाव, शब्द-चयन, वर्णनशैली अति सुन्दर है। इन पदों में मनुष्य मात्र को सुमार्ग पर चलने की प्रेरणा दी गई है। [ xix)
SR No.090167
Book TitleDyanat Bhajan Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachandra Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajkot
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Poem
File Size5 MB
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