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वह ब्रह्म शुद्ध है, 'मलरहित अमल है, विकाररहित है, फिर बार-बार गर्भ में आकर क्यों अवतरित होता है? क्यों अवतार लेता है? यदि वह ब्रह्मा कर्मरहित है तो कम से जिला उस्को अंवार लेने की इच्छा क्यों होती है? इच्छा होते ही तो शुद्धि समाप्त हो जाती है (क्योंकि जब तक इच्छा है तब तक राग रहता
__ इस संसार में अनन्त जीव हैं, उनके कर्म नष्ट होने पर उन्हें ही मोक्ष होता है, वे ही ब्रह्मा/भगवान बन जाते हैं ऐसा द्यानतराय कहते हैं।
धानत भजन सौरभ