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________________ सूत्रांक १०७. १०८. १०९. ११०. १११. ११२. ११३. ११४. ११५. ११६. ११७. ११८. ११९. १२०. १२१. १२२. १२३. १२४. १२५. १२६. १२७. १२८. १२९. १३०. १३१. ३. ४. विषय शब्दों की उत्पत्ति के निमित्त, शब्दादि का पुद्गल रूपत्व प्ररूपण, शब्दादि का एकत्व, शब्दादि पुद्गलों के विविध प्रकार से भेदों का प्ररूपण, प्रयोगबन्ध - विनसाबन्ध नामक दो बंध भेद, विनसाबंध का विस्तार से प्ररूपण, प्रयोगबंध के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण, शरीरप्रयोगबंध के भेद, औदारिक शरीरप्रयोगबंध का विस्तार से प्ररूपण, औदारिक शरीरप्रयोगबंध की स्थिति का प्ररूपण, औदारिक शरीरबन्ध के अन्तर काल का प्ररूपण, औदारिक शरीर के बंधक-अबंधकों का अल्पबहुत्व, वैक्रिय शरीरप्रयोगबंध का विस्तार से प्ररूपण, वैक्रिय शरीरप्रयोगबंध की स्थिति का प्ररूपण, वैक्रिय शरीरप्रयोगबंध के अन्तर काल का प्ररूपण, : वैक्रिय शरीर प्राप्त करने वालों के वैक्रिय शरीरप्रयोगबंध के अन्तर काल का प्ररूपण, पुनः वैक्रिय शरीर के बंधक - अबंधकों का अल्पबहुत्व, आहारक शरीरप्रयोगबंध का विस्तार से प्ररूपण, ५. ६. ७. ८. ९. तेजस् शरीरप्रयोगबंध का विस्तार से प्ररूपण, आठ प्रकार के कार्मण शरीरप्रयोगबंध का विस्तार से प्ररूपण, , घ्राणेन्द्रिय से संलग्न पुद्गलों का प्राणग्राह्यत्व का प्ररूपण, चौबीसदंडकों में आहारिक पुद्गलों के परिणतादि का प्ररूपण, नरक पृथ्वियों में स्थित सर्वपुद्गलों में पूर्व प्रवेश आदि का प्ररूपण, प्रकीर्णक १. द्रव्यार्थिक नय दृष्टि से अस्तिकाय आदि के एकत्व का प्ररूपण, २. चित्तवृत्यादि के एकत्व का प्ररूपण, द्रव्यार्थिक नय दृष्टि से अठारह पापस्थानों के नाम, पाँच शरीरों के परस्पर बंधक - अबंधक का प्ररूपण, पाँच शरीरों के बंधक- अबंधकों का अल्पबहुत्य द्रव्यार्थिक नय दृष्टि से अठारह पापस्थान विरमण के नाम, के दो प्रकार, गुणप्रमाण भाव शंख के स्वरूप का प्ररूपण, चौबीसदंडकों में सामान्य से दंड संख्या का प्ररूपण, आशीविष भेदों का विस्तार से प्ररूपण, तीन प्रकार की ऋद्धि के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण, अर्थोपार्जन हेतु के तीन प्रकार, विवक्षा से इन्द्रों के तीन प्रकार, विनिश्चय के तीन प्रकार, श्रमण माहनों के अभिसमागम के तीन प्रकार, 90. ११. १२. १३. १४. शूरों के चार प्रकार, १५. १६. १७. विद्यमान गुणों का विनाश-विकास के चार हेतु. चार प्रकार का संसार, गति की अपेक्षा संसार के चार प्रकार, ( ६२ ) पृष्ठांक १८७०-१८७१ .१८७१ १८७१ १८७१ १८७१ १८७१-१८७२ १८७२-१८७५ १८७५ १८७५-१८७६ १८७६-१८७७ १८७७-१८७८ १८७८ १८७९-१८८० १८८०-१८८१ १८८१ १८८१-१८८३ १८८३ १८८३-१८८४ १८८४-१८८५ १८८५-१८८८ १८८८-१८९० १८९० १८९० १८९०-१८९२ १८९२ १८९४ १८९४ १८९४ १८९५ १८९५ १८९५ १८९५ १८९५-१८९८ १८९८. १८९९ १८९९ १८९९ १८९९ १८९९ १८९९-१९०० १९०० १९००
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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