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________________ १८६४ छप्पएसिया जहा दुपएसिया । सत्तपएसिया जहा तिपएसिया । अट्ठपएसिया जहा चउप्पएसिया । नवपएसिया जहा परमाणुपोग्गला । दसपएसिया जहा दुपएसिया । प. संखेज्जपएसिया णं भंते ! खंधा पएसट्टयाए किं कडजुम्मा जाव कलिओगा ? उ. गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलिओगा वि, एवं असंखेज्जपएसिया वि, अणतपएसिया वि। - विया. स. २५, उ. ४, सु. १२६-१५३ १०२. ओगाहणा-ठिई-वण्णाइपज्जव जुत्ताणं परमाणु- पोग्गलाणं खंधाण कडजुम्मा परूवणं प. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढे जाव कलिओगपएसोगाढे? उ. गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाढे, नो ते ओगपएसोगाढे, नो दावरजुम्मपएसोगाढे, कलिओगपएसोगाढे। प. दुपएसिए णं भंते ! खंधे किं कडजुम्मपएसोगाढे जाव . कलिओगपएसोगाढे ? उ. गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाढे, नो ते ओगपएसोगाढे, सिंय दावरजुम्मपएसोगाढे, सिय कलिओगपएसोगाढे। प. तिपएसिए णं भंते ! खंधे किं कडजुम्मपएसोगाढे जाव कलि ओगपएसोगाढे ? उ. गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाढे, सिय तेओगपएसोगाढे, सिय दावरजुम्मपएसोगाढे, सिय कलिओगपएसोगाढे। प. चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे किं कडजुम्मपएसोगाढे जाव कलिओगपएसोगाढे ? उ. गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलिओगपएसोगाढे, एवं जाव अनंतपएसिए । प. परमाणुपोग्गला णं भंते! किं कडजुम्मपएसोगाढा जाव कलिओगपएसोगाढा ? उ. गोयमा ! ओघादेसेणं-कडजुम्मपएसोगाढा, नो ते ओगपएसोगाढा, नो दावरजुम्मपएसोगाढा, नो कलिओगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं नोकडजुम्मपएसोगाढा, नो तेओगपएसोगाढा, नो दावरजुम्म एसो गाढा, कलिओगपएसोगाढा । द्रव्यानुयोग - (३) छह-प्रदेशी स्कन्धों का कथन द्वि-प्रदेशी स्कन्धों के समान है, सप्त- प्रदेशी स्कन्धों का कथन तीन प्रदेशी स्कन्धों के समान है, अष्ट-प्रदेशी स्कन्धों का कथन चतुष्प्रदेशी स्कन्धों के समान है, नौ प्रदेशी स्कन्धों का कथन परमाणु-पुद्गलों के समान है, दस प्रदेशी स्कन्धों का कथन द्वि-प्रदेशी स्कन्धों के समान है। प्र. भंते ! क्या (बहुत) संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश विवक्षा से कृतयुग्म यावत् कल्योज हैं ? उ. गौतम ! सामान्य आदेश से कदाचित् कृतयुग्म हैं यावत् कदाचित् कल्योज हैं। विशेषादेश से कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्योज भी हैं। इसी प्रकार असंख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी स्कन्धों के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए। १०२. परमाणु- पुद्गल और स्कन्धों के अवगाहना स्थिति वणांदि युक्त कृतयुग्म आदि का प्ररूपण प्र. भंते ! क्या (एक) परमाणु - पुद्गल कृतयुग्म - प्रदेशावगाढ यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ है ? उ. गौतम ! वह कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्म प्रदेशावगाढ नहीं है किन्तु कल्योज प्रदेशावगाढ है। प्र. भंते ! द्वि-प्रदेशी स्कन्ध क्या कृतयुग्म प्रदेशावगाढ हैं। यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ हैं ? उ. गौतम ! वह कृतयुग्म और त्र्योज प्रदेशावगाढ नहीं है, किन्तु कदाचित् द्वापरयुग्म और कदाचित् कल्योज प्रदेशावगाढ है। प्र. भंते ! तीन प्रदेशी स्कन्ध क्या कृतयुग्म प्रदेशावगाढ हैं यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ हैं ? उ. गौतम ! वह कृतयुग्म प्रदेशावगाढ नहीं है, किन्तु कदाचित् त्र्यो, द्वापरयुग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ हैं। प्र. भंते ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध क्या कृतयुग्मप्रदेशावगाढ हैं। यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ हैं ? उ. गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म प्रदेशावगाढ हैं यावत् कदाचित् कल्योज प्रदेशावगाढ हैं। इसी प्रकार अनन्त प्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भंते! क्या (बहुत) परमाणु-पुद्गल कृतयुग्म प्रदेशावगाढ हैं यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ हैं ? उ. गौतम ! सामान्यादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ हैं किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ नहीं हैं। विशेषादेश से कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्म प्रदेशावगाढ नहीं हैं किन्तु कल्योजप्रदेशावगाढ हैं।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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