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________________ पुद्गल अध्ययन १८५९ दसपएसोगाढेहिंतो पोग्गलेहिंतो संखेज्जपएसोगाढा पोग्गला पएसट्ठयाए बहुया, संखेज्जपएसोगाढेहिंतो पोग्गलेहिंतो असंखेज्ज पएसोगाढा पोग्गला पएसट्ठयाए बहुया। प. एएसि णं भंते ! एगसमयट्ठिईयाणं दुसमयट्ठिईया य ___पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो विसेसाहिया? उ. गोयमा ! जहा ओगाहणाए वत्तव्वया एवं ठिईए वि। -विया.स.२५, उ.४, सु. १०६-११० ९७. परमाणुपोग्गलाणं खंधाण य वण्णाइ पडुच्च दव्वट्ठ पएसट्ठयाए बहुयत्त-परूवणंप. एएसि णं भंते ! एगगुणकालयाणं दुगुणकालयाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो विसेसाहिया? उ. गोयमा ! एएसिं जहा परमाणुपोग्गलाईणं वत्तव्वया तहेव निरवसेसा माणियव्या। एवं सव्वेसिं वण्ण-गंध-रसाणं। प. एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं दुगुणकक्खडाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो विसेसाहिया? उ. गोयमा ! एगगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहिंतो दुगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए विसेसाहिया। एवं जावनवगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहिंतो दसगुणकक्खडा पोग्गला दबट्ठयाए विसेसाहिया। दसगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहिंतो संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए बहुया, संखेज्जगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहितो असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए बहुया, असंखेज्जगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहितो अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए बहुया। एवं पएसट्ठयाए वि। सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्या। जहा कक्खडा एवं मउय-गरुय-लहुया वि, दस प्रदेशों में रहे हुए पुद्गलों से संख्यात प्रदेशों में रहे हुए पुद्गल प्रदेश विवक्षा से बहुत हैं। संख्यात प्रदेशों में रहे हुए पुद्गलों से असंख्यात प्रदेशों में रहे हुए पुद्गल प्रदेश विवक्षा से बहुत हैं। प्र. भंते ! एक समय की स्थिति वाले और दो समय की स्थिति वाले पुद्गलों में द्रव्य विवक्षा से कौन किससे विशेषाधिक है? उ. गौतम ! जिस प्रकार प्रदेशों में रहे हुए अवगाहना के सम्बन्ध में कहा उसी प्रकार स्थिति के विषय में कहना चाहिए। ९७. परमाणु पुद्गलों और स्कन्धों का वर्णादि की अपेक्षा द्रव्य प्रदेश द्वारा बहुत्व का प्ररूपणप्र. भंते ! इन एक गुण काले और दो गुण काले पुद्गलों में द्रव्य विवक्षा से कौन-किससे विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! पूर्व में जैसे परमाणु-पुद्गल के लिए कहा उसी के अनुसार यहाँ भी सम्पूर्ण कथन करना चाहिए। इसी प्रकार सभी वर्ण, गंध, रस के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए। प्र. भंते ! एक गुण कर्कश और द्विगुण कर्कश पुद्गलों में द्रव्य विवक्षा से कौन किससे विशेषाधिक है? उ. गौतम ! एक गुण कर्कश पुद्गलों से द्विगुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से विशेषाधिक हैं। इसी प्रकार यावत्नौ गुण कर्कश पुद्गलों से दस गुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से विशेषाधिक हैं। दस गुण कर्कश पुद्गलों से संख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से बहुत हैं। संख्यातगुण कर्कश पुद्गलों से असंख्यात गुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से बहुत हैं। असंख्यातगुण कर्कश पुद्गलों से अनन्तगुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से बहुत हैं। इसी प्रकार प्रदेश विवक्षा से भी समझना चाहिए। सर्वत्र प्रश्न करना चाहिए। जैसे-कर्कश स्पर्श सम्बन्धी कान किया वैसा ही मृदु, गुरु और लघु स्पों का वर्णन करना चाहिए। शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पों का कथन वर्गों के समान करना चाहिए। ९८. परमाणु पुद्गल और स्कन्धों का द्रव्यादि की अपेक्षा अल्पबहुत्वप्र. भंते ! इन १. परमाणु-पुद्गलों, २. संख्यातप्रदेशी, ३. असंख्यातप्रदेशी और ४. अनन्तप्रदेशी स्कन्धों में द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेश की अपेक्षा और द्रव्य-प्रदेश की अपेक्षा कौन-किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? सीय उसिण-निद्ध-लुक्खा जहा वण्णा। -विया.स.२५, उ.४, सु.१११-११७ ९८. परमाणुपोग्गलाणं खंधाण यदव्वट्ठयाईहिं अप्पाबहुयं प. एएसिणं भंते! १. परमाणुपोग्गलाणं, २. संखेज्जपएसियाणं, ३. असंखेज्जपएसियाणं, ४. अणंतपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा?
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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