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________________ पुद्गल अध्ययन २. वेउव्वियपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकालस्स, ३. तेयापोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकालस्स, ४. कम्मापोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकालस्स, ५. मणपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकालस्स, ६. वइपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकालस्स, ७. आणापाणुपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकालस्स य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवे कम्मगपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकाले, २. तेयापोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ३. ओरालियपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ४. आणापाणुपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ५. मणपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ६. वइपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ७. वेउब्बियपोग्गलपरियट्ट निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे। -विया. स. १२, उ.४,सु.५३ ७४. परमाणु खंधाणं तिकालवत्तित्त परूवणंप. एस णं भंते ! पोग्गले, तीतमणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया? उ. हंता, गोयमा ! (दव्वट्ठयाए) एस णं पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्यं सिया। प. एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया? उ. हंता, गोयमा ! एस णं पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया। प. एस णं भंते ! पोग्गले अणागयमणतं सासयं समय भविस्सतीति वत्तव्वं सिया?' उ. हंता, गोयमा ! एस णं पोग्गले अणागयमणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्यं सिया। एवं खंधेण वि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा। -विया. स. १,उ.४, पु.७-१० ७५. परमाणुपोग्गलेसु खंधेसु चउवीसदंडएसु य अणुसेढिगई परूवणंप. परमाणुपोग्गलाणं भंते ! किं अणुसेढिं गई पवत्तइ, विसेढिं गई पवत्तइ? १८३७ २. वैक्रिय पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल, ३. तैजस् पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल, ४. कार्मण पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल, ५. मनःपुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल, ६. वचन पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल, ७. आन-प्राण पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम! १. सबसे थोड़ा कार्मण-पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना (निष्पत्ति) काल है, २. (उससे)तैजस् पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल अनन्तगुणा है, ३. (उससे) औदारिक पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल अनन्तगुणा है, ४. (उससे) आन-प्राण पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल अनन्तगुणा है, ५. (उससे) मनःपुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल अनन्तगुणा है, ६. (उससे) वचन-पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल अनन्तगुणा है, ७. (उससे) वैक्रिय पुद्गल परिवर्त निर्वर्तना काल अनन्तगुणा है। ७४. परमाणु और स्कन्धों के त्रिकालवर्तित्व का प्ररूपणप्र. भंते ! क्या वह पुद्गल (परमाणु) अतीत, अनन्त शाश्वत काल में था-ऐसा कहा जा सकता है? उ. हाँ, गौतम ! (द्रव्य की अपेक्षा) यह पुद्गल अतीत अनन्त शाश्वतकाल में था, ऐसा कहा जा सकता है। प्र. भंते ! क्या यह पुद्गल वर्तमान शाश्वत काल में है, ऐसा कहा जा सकता है? उ. हाँ, गौतम ! यह पुद्गल वर्तमान शाश्वत काल में है, ऐसा कहा जा सकता है। प्र. भंते ! क्या यह पुद्गल अनन्त शाश्वत भविष्यकाल में रहेगा, ऐसा कहा जा सकता है? उ. हाँ, गौतम ! यह पुद्गल अनन्त शाश्वत भविष्यकाल में रहेगा, ऐसा कहा जा सकता है। इसी प्रकार "स्कन्ध" के साथ भी त्रिकाल सम्बन्धी तीन आलापक कहने चाहिए। ७५. परमाणु पुद्गलों स्कन्धों और चौवीसदंडकों में अनुश्रेणीगति का प्ररूपणप्र. भंते ! परमाणु-पुद्गलों की अनुश्रेणी (आकाश-प्रदेशों की श्रेणी के अनुसार) गति होती है या विश्रेणी (उनसे विपरीत) गति होती है? उ. गौतम ! परमाणु-पुद्गलों की अनुश्रेणी गति होती है, विश्रेणी गति नहीं होती है। प्र. भंते ! द्विप्रदेशिक स्कन्धों की अनुश्रेणी गति होती है या विश्रेणी गति होती है? उ. गोयमा ! अणुसेढिं गई पवत्तइ, नो विसेढिं गई पवत्तइ। प. दुपएसियाणं भंते ! खंधाणं किं अणुसेढिं गई पवत्तइ, विसेढिं गई पवत्तइ?
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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