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________________ NeNeNeNeNeNeNeadealeadeaNeNaNANANANANANAasleeleediaNAadee d MANENENan తులు ముందు ఎముఖులు పాడుతుండం ప్రారండమడు ఆడది వాడు ఎం ఎం ఎం ఎవరి తుడుపు ఎడా పంపం పెడుతుం श्री लाबुसिंह जी गांग (एडवोकेट), शाहपुरा आप बहुत ही उदार विचारों के हैं। शाहपुरा संघ के कर्मठ समाजसेवी श्रावक हैं। पूज्य गुरुदेव श्री प्रतापमल जी म. की स्मृति में वर्धमान महावीर केन्द्र, आबू पर्वत पर स्थापित होम्योपैथिक औषधालय, वेणी-मोहन चिकित्सालय की स्थापना में भी आपका प्रमुख योगदान रहा है। आपकी पूज्य गुरुदेव के प्रति अनन्य श्रद्धा-भक्ति है। आपके सुपुत्र ज्ञानचन्द जी आदि भी धार्मिक भावना वाले हैं। आगम अनुयोग ट्रस्ट के आप सहयोगी सदस्य हैं। स्व. श्री हरखचन्द जी सा., मेड़तवाल, केकड़ी (राज.) आप केकड़ी के उदार हृदयी, धर्म श्रद्धालु श्रावक थे। बहुत ही सरल हृदयी थे। आपके सुपुत्र श्री रिखबचन्द जी आदि सभी पूज्य गुरुदेव के प्रति विशेष श्रद्धा-भक्ति रखते हैं। ब्यावर में भी कल्याणमल हरखचन्द के नाम से प्रसिद्ध फर्म है। आप ट्रस्ट के सक्रिय सदस्य हैं। स्व. श्री राजेन्द्रकुमार जी जैन, बम्बई आप मूलत: हरियाणा के निवासी थे। फिर दिल्ली आकर बसे। वहाँ पर आपके परिवार की सोरा कोठी नाम से बहुत बड़ी जगह थी जिसमें स्थानक भी बनवाया हुआ है फिर बम्बई आकर फिल्म व्यवसाय किया, परन्तु विकृतियों के कारण वह कार्य छोड़कर विज्ञापन कम्पनी की स्थापना की। जो आज 'आरेज' के नाम से प्रसिद्ध है। श्री राजेन्द्रकुमार जी का ६२ वर्ष की उम्र में ही २० जून १९९२ को स्वर्गवास हो गया। आपकी माताजी धर्मानुरागिनी सुश्राविका उदार भावनाशील श्रीमती मायादेवी जैन ने अपने होनहार सुपत्र की स्मृति में ट्रस्ट को योगदान दिया। श्री गौतमचन्द जी मुणोत, स्व. श्री हरीश सूरसागर, (जोधपुर) सी. जैन, बम्बई आप बहुत ही भावनाशील हैं। श्री आपका जन्म पंजाब में हुआ लालचंद जी सा. मुणोत के सुपुत्र तथा बम्बई आकर आपने हैं। श्री भंवरलाल जी सा. प्रताप विज्ञापन व्यवसाय प्रारम्भ नगर वालो के छोटे भाता है। किया। कठिन परिश्रम सरसागर संघ के अध्यक्ष है। तथा गहरी सुझ-बूझ, मढ़ उपाध्याय श्री जी का लेखन कार्य व्यवहार के कारण आप हैत १६माह वहाँ विराजना हुआ पगति के शिखर पर चढ़ते गये । आज शिखर पर लाभ लिया। अनुयोग समापन चढ़ते गये। आज आपका समारोह, जिसमें सभी सम्प्रदायों संस्थान जैसन्स (इण्डिया लि.) सम्पूर्ण विश्व के विज्ञापन के साधु साध्वी पधारे व ७-८ व्यवसाय में प्रमुख स्थान रखता है। आप सामाजिक सेवा कार्यों हजार जनता की उपस्थिति थी में विशेष रुचि रखते थे। साधु-संतों के प्रति आपकी गहरी उनकी गौतम प्रसादी (स्वधर्मि श्रद्धा-भावना थी। पंजाब जैन भातृ सभा, खार के आप पक्ष वात्सल्य) का लाभ आपके परिवार ने लिया। पूरे परिवार की पूज्य गुरुदेव के रहे तथा अनेक संस्थाओं से सम्बद्ध थे। प्रति विशेष श्रद्धा भक्ति है। आगम अनुयोग ट्रस्ट में सहयोग प्रदान किया है। आगम अनुयोग ट्रस्ट के आप सक्रिय सहयोगी बने।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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