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________________ पुद्गल अध्ययन प. भंते ! जइ कायप्पओगपरिणए कि १. ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए, २. ओरालियमीसासरीर-कायप्पओगपरिणए, ३. वेउब्वियसरीर-कायप्पओगपरिणए, ४. वेउव्वियमीसासरीर-कायप्पओगपरिणए, ५. आहारगसरीर-कायप्पओगपरिणए, ६. आहारगमीसासरीर-कायप्पओगपरिणए, ७. कम्मासरीर-कायप्पओगपरिणए? उ. गोयमा ! ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए वा जाव कम्मासरीर-कायप्पओगपरिणए वा। प. भंते ! जइ ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए, किं एगिंदिय-ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए जाव पंचिंदिय-ओरालियसरीर-कायप्पओग परिणए? उ. गोयमा ! एगिंदिय-ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए वा जाव पंचिंदिय-ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए वा। प. भंते ! जइ एगिंदिय-ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए, किं पुढविक्काइय-एगिंदिय-ओरालियसरीर-कायप्पओगपरिणए जाववणस्सइकाइय-एगिदिय-ओरालियसरीर-कायप्प ओगपरिणए? उ. गोयमा ! पुढविक्काइय-एगिंदिय-ओरालियसरीर कायप्पओगपरिणए वा जाववणस्सइकाइय-एगिंदिय-ओरालियसरीर-कायप्पओगपरि णए वा। प. भंते ! जइ पुढविकाइय-एगिंदिय-ओरालियसरीर कायप्पओगपरिणए किंसुहुमपुढविकाइय-एगिंदिय-ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए, बायरपुढविकाइय-एगिंदिय-ओरालियसरीर कायप्पओगपरिणए? उ. गोयमा ! सुहुमपुढविकाइय-एगिंदिय-ओरालियसरीर कायप्पओगपरिणए वा, बायरपुढविक्काइय-एगिंदिय-ओरालियसरीर कायप्पओगपरिणए वा। प. भंते ! जइ सुहुमपुढविकाइय-एगिदिय-ओरालियसरीर कायप्पओगपरिणए, किंपज्जत्त-सुहुमपुढविकाइय-एगिंदिय-ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए, अपज्जत्त-सुहमपुढविकाइय-एगिंदिय-ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए? - १८१३ ) प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य काय प्रयोग परिणत होता है तो क्या १. औदारिक शरीर काय प्रयोग परिणत, २. औदारिक मिश्र शरीर काय प्रयोग परिणत, ३. वैक्रिय शरीर काय प्रयोग परिणत, ४. वैक्रिय मिश्र शरीर काय प्रयोग परिणत, ५. आहारक शरीर काय प्रयोग परिणत, ६. आहारक मिश्र शरीर काय प्रयोग परिणत, ७. कार्मण शरीर काय प्रयोग परिणत होता है? उ. गौतम ! वह एक द्रव्य औदारिक शरीर काय प्रयोग परिणत भी होता है यावत् कार्मण शरीर काय प्रयोग परिणत भी होता है। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य औदारिक शरीर कायप्रयोग परिणत होता है तो क्या एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत होता है यावत् पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर कायप्रयोग परिणत होता है? उ. गौतम ! वह एक द्रव्य एकेन्द्रिय औदारिक शरीर काय प्रयोग परिणत भी होता है यावत् पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर काय प्रयोग परिणत भी होता है। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य एकेन्द्रिय औदारिक शरीर कायप्रयोग परिणत होता है तो क्या वहपृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर कायप्रयोग परिणत होता है यावत्वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर कायप्रयोग परिणत होता है? उ. गौतम ! वह एक द्रव्य पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर कायप्रयोग परिणत भी होता है यावत्वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीर कायप्रयोग परिणत भी होता है। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत होता है तो क्यासूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत होता है या बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत होता है? उ. गौतम ! वह एक द्रव्य सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत भी होता है, बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत भी होता है। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत होता है तो क्यापर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत होता है या अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक शरीरकाय प्रयोग परिणत होता है?
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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