SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 357
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १८१२ । ४६. एगदव्वस्स पयोगपरिणयाइ परूवणंप. एगे भंते ! दव्वे किं पओगपरिणए, मीसापरिणए, वीससापरिणए? उ. गोयमा ! पओगपरिणए वा, मीसापरिणए वा, वीससापरिणए वा। प. भंते ! इ पओगपरिणए किं मणप्पओगपरिणए, वइप्पओगपरिणए,कायप्पओगपरिणए? उ. गोयमा ! मणप्पओगपरिणए वा, वइप्पओगपरिणए वा, कायप्पओगपरिणए वा। प. भंते!जइ मणप्पओगपरिणए किं सच्चमणप्पओगपरिणए, मोसमणप्पओगपरिणए, सच्चामोसमणप्पओगपरिणए, असच्चामोसमणप्पओगपरिणए? उ. गोयमा !१.सच्चमणप्पओगपरिणए वा, २. मोसमणप्पओगपरिणए वा, ३. सच्चामोसमणप्पओगपरिणए वा, ४. असच्चामोसमणप्पओगपरिणए वा। प. भंते !जइ सच्चमणप्पओगपरिणए किं १. आरंभसच्चमणप्पओगपरिणए, २. अणारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, ३. सारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, ४. असारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, ५. समारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, ६. असमारंभसच्चमणप्पओगपरिणए? उ. गोयमा ! आरंभसच्चमणप्पओगपरिणए वा जाव असमारंभसच्चमणप्पओगपरिणए वा। प. भंते ! जइ मोसमणप्पओगपरिणए कि । द्रव्यानुयोग-(३) ) ४६. एक द्रव्य के प्रयोग परिणतादि का प्ररूपणप्र. भंते ! एक पुद्गल द्रव्य क्या प्रयोग परिणत होता है, मिश्रपरिणत होता है या विश्रसा परिणत होता है? उ. गौतम ! एक द्रव्य प्रयोग परिणत भी होता है, मिश्रपरिणत भी ___ होता है और विश्रसा परिणत भी होता है। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य प्रयोग परिणत होता है तो क्या मनःप्रयोग परिणत, वाक्प्रयोग परिणत, काय प्रयोग परिणत होता है? उ. गौतम ! वह मनः प्रयोग परिणत भी होता है, वाक् प्रयोग परिणत भी होता है और काय प्रयोग परिणत भी होता है। प्र. भंते ! यदि वह द्रव्य मनःप्रयोग परिणत होता है तो क्या सत्यमनःप्रयोग परिणत, मृषामनःप्रयोग परिणत, सत्यामृषामन प्रयोग परिणत या असत्यामृषामनःप्रयोग परिणत होता है? उ. गौतम ! १. वह सत्यमनः प्रयोग परिणत, २. मृषामनःप्रयोग परिणत, ३. सत्या-मृषामनः प्रयोग परिणत, ४. असत्यामृषामनः प्रयोग परिणत होता है। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य सत्यमनःप्रयोग परिणत होता है तो क्या वह१. आरम्भ सत्यमनः प्रयोग परिणत, २. अनारम्भ सत्यमनःप्रयोग परिणत, ३. सारम्भ सत्यमनः प्रयोग परिणत, ४. असारंभ सत्य मनः प्रयोग परिणत, ५. समारंभ सत्य मनः प्रयोग परिणत, ६. असमारंभ सत्यमनः प्रयोग परिणत होता है? उ. गौतम ! वह आरम्भ सत्यमनः प्रयोग परिणत भी होता है यावत् असमारंभ सत्यमनः प्रयोग परिणत भी होता है। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य मृषामनः प्रयोग परिणत होता है तो क्या१. आरम्भ मृषामनः प्रयोग परिणत होता है यावत् ६. असमारम्भ मृषामनःप्रयोग परिणत होता है ? उ. गौतम ! जिस प्रकार,सत्यमनःप्रयोग परिणत के संबंध में कहा है उसी प्रकार मृषामनःप्रयोग परिणत के संबंध में भी जानना चाहिए। इसी प्रकार सत्यामृषामनःप्रयोग परिणत पुद्गलों के सम्बन्ध में भी जानना चाहिए। इसी प्रकार असत्यामृषामनःप्रयोग परिणत पुद्गलों के सम्बन्ध में जानना चाहिए। प्र. भंते ! यदि वह एक द्रव्य वाक्प्रयोग परिणत होता है तो क्या सत्यवाक्प्रयोग परिणत होता है यावत् असत्यामृषावाक्प्रयोय परिणत होता है? गौतम ! जिस प्रकार मनःप्रयोग परिणत के सम्बन्ध में कहा है उसी प्रकार वचन प्रयोग परिणत के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए यावत् असमारम्भ असत्यामृषा वचन प्रयोग परिणत पर्यन्त कहना चाहिए। १. आरंभमोसमणप्पओगपरिणए जाव ६. असमारंभमोसमणप्पओगपरिणए? उ. गोयमा ! एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेण वि, एवं सच्चामोसमणप्पओगपरिणए वि, एवं असच्चामोसमणप्पओगपरिणए वि। प. भंते !जइ वइप्पओगपरिणए, किं सच्चवइप्पओगपरिणए जाव असच्चा मोसवइप्पओगपरिणए? उ. गोयमा ! एवं जहा मणप्पओगपरिणए तहा वइप्पओगपरिणए वि जाव असमारंभ असच्चामोसवइप्पओगपरिणए वा।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy